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मंदिरों के धन से गौशाला का संचालन करे : पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार

सड़कों पर आवारा घूमते गौवंश चिंता का विषय, रहता है दुर्घटनाओं का जोखिम

धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने रविवार को राज्य सरकार से अनुरोध किया कि एक कानून बनाकर राज्य के प्रमुख मंदिरों के लिए गोशालाओं का संचालन अनिवार्य किया जाए। यहां जारी एक बयान में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमार ने बताया कि जनसंख्या और वाहनों में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ सड़कों पर आवारा पशु एक बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कदम आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या से निपटने में मदद करेगा, जो ‘‘लगातार सड़क दुर्घटनाओं और जानमाल के नुकसान का कारण बन रहे हैं’’। हिमाचल प्रदेश के मंदिरों की महत्वपूर्ण संपत्ति पर प्रकाश डालते हुए कुमार ने कहा कि छह प्रमुख मंदिर

माता चिंतपूर्णी, माता नैना देवी, माता ज्वालामुखी, माता चामुंडा देवी, माता ब्रजेश्वरी देवी (कांगड़ा) और बाबा बालक नाथ जी के पास सामूहिक रूप से लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें 85 करोड़ रुपये नकद, 300 करोड़ रुपये सावधि जमा, 500 करोड़ रुपये सोना और 200 करोड़ रुपये की चांदी शामिल हैं।

कुमार ने कहा, ‘राज्य में सरकार के नियंत्रण में 36 मंदिर हैं और सभी के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है। अगर हर बड़े मंदिर को गोशाला चलाने की कानूनी जिम्मेदारी दे दी जाए तो हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन सकता है जहां सड़कों पर कोई आवारा पशु नहीं घूमेगा।’

उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से ‘इस विचार को एक ऐतिहासिक पहल के रूप में लागू करने का साहसिक कदम’ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘इससे न केवल आवारा पशुओं की समस्या का समाधान होगा बल्कि हिंदू धर्म में गोरक्षा के मूल्यों को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा इस तरह के नेक काम से मंदिरों का आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान बढ़ेगा।’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने यह भी बताया कि राज्य सरकार वर्तमान में शराब की प्रत्येक बोतल पर 10 रुपये का ‘‘गौ उपकर’ वसूलती है, जिससे सालाना लगभग 1,000 करोड़ रुपये की आय होती है। उन्होंने कहा कि इस धन का उपयोग गोरक्षा के लिए प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए।

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