एड्स (AIDS) दुनियाभर की सबसे घातक बीमारियों में है और इस बीमारी ने कई महामारियों से भी अधिक लोगों की जान ली है। दुनिया भर में इंसान का सबसे घातक दुश्मन है एड्स। आज भी एड्स लाइलाज़ है। हालांकि एड्स के वायरस का पता 1983 में चल गया था पर उपचार की खोज आज भी जारी है। इस घातक बीमारी से सचेत करने के लिए 1 दिसंबर को सारा विश्व एड्स रोधी दिवस मनाता है।
एड्स अतिसूक्ष्म विषाणु एच.आई.वी की वजह से होता है। यह स्वयं में कोई रोग नहीं बल्कि एक उपलक्षण है जो अन्य रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है। प्रतिरोधक क्षमता के घटने से कोई भी संक्रमण, जैसे सर्दी जुकाम से ले कर टीबी, कैंसर जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
कारण
● यह सबसे ज्यादा संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क से होता है। हालांकि, एच. आई. वी. प्रसार भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न तरीकों से हुआ है।
● HIV के संक्रमण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रक्त और रक्त उत्पाद हैं। रक्त के द्वारा संक्रमण नशीली दवाओं के सेवन के दौरान सुइयों के साझा प्रयोग के द्वारा, संक्रमित सुई से चोट लगने पर, दूषित रक्त या रक्त उत्पाद के माध्यम से या उन मेडिकल सुइयों के माध्यम से जो एच. आई. वी. संक्रमित उपकरणों के साथ होते हैं।
एचआईवी माँ से बच्चे को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के दौरान और स्तनपान से हो सकता है। एचआई वी दुनिया भर में फैलने का यह तीसरा सबसे आम कारण है। नवजात शिशु को स्तनपान से न करा के तथा नवजात शिशु को भी एंटीरिट्रोवाइरल औषधियों की खुराक देकर माँ से बच्चे में एच. आई. वी. का संक्रमण रोका जा सकता है ।
बचाव
एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध न रखें। एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित रक्तदान कभी न करें। रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण अवश्य कराएं।
उपचार
एड्स के इलाज पर निरंतर शोध जारी है। भारत, जापान, अमरीका, युरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों की खोज जारी है। हालांकी एड्स के मरीजों को इससे लड़ने और एड्स होने के बावजूद कुछ समय तक साधारण जीवन जीने में सक्षम है।
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