हावड़ा : हावड़ा स्थित आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बॉटनिकल गार्डन अब एक नयी वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए सुर्खियों में है। यहां देश का पहला ‘प्लांट टैक्सोनॉमिक सेक्शन’ तैयार किया गया है, जिसे ‘लिविंग लैब’ भी कहा जा रहा है। यह प्रयोगात्मक सेक्शन लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसमें 500 से अधिक फूलदार व गैर-फूलदार पौधों की प्रजातियों को वैज्ञानिक ढंग से एकत्रित कर प्रदर्शित किया गया है।
पौधों की लाइब्रेरी
इस सेक्शन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक जीवित पाठशाला बन सके। यहां पौधों को उनकी फैमिली, डिविजन और सेक्शन के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। जैसे किसी लाइब्रेरी में किताबें व्यवस्थित रहती हैं, वैसे ही इस “प्लांट लाइब्रेरी” में हर पौधे को उसकी वैज्ञानिक श्रेणी के अनुसार रखा गया है। छात्र इन पौधों को देखकर, छूकर और सीधे तौर पर अध्ययन कर सकते हैं।
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175 परिवारों के लिए विशेष ब्लॉक
बॉटनिकल गार्डन के हेड डॉ. देवेंद्र सिंह के अनुसार, देश के पहले टैक्सोनॉमिक सेक्शन में 175 पौधों के परिवारों के लिए विशेष ब्लॉक तैयार किए गए हैं। इसके अलावा, 5 क्रिप्टोगेमिक ब्लॉक भी बनाए गए हैं, जिनमें फर्न, मॉस और एल्गी जैसे गैर-फूलदार पौधों को रखा गया है।
जंगलों से जुटाये गये पौधे
गार्डन के क्यूरेटर डॉ. जे. स्वामी और उनकी टीम ने करीब एक वर्ष तक देश के विभिन्न घने जंगलों का भ्रमण कर इन पौधों के नमूने जुटाये। पौधों की पत्तियां, छाल, बीज और अन्य हिस्सों का संग्रह कर उन्हें वैज्ञानिक ढंग से संरक्षित किया गया है। यही नहीं, कुछ पौधों की खाद भी इन्हीं के सूखे पत्तों और छाल से तैयार की जाती है, ताकि पारिस्थितिकी संतुलन बना रहे।
डिजिटल इंडिया से जुड़ा टैक्सोनॉमी
हर पौधे के पास एक क्यूआर कोड लगाया गया है। इसे स्कैन करने पर छात्र अपने मोबाइल पर उस पौधे की वैज्ञानिक जानकारी, मूल स्थान, परिवार और उपयोगिता की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. देवेंद्र सिंह बताते हैं, 'यह पहल छात्रों को पुस्तकीय ज्ञान से आगे बढ़ाकर प्रकृति से सीधा जुड़ने का अवसर देती है।'