कोलकाता: सत्यजीत मंडल, जो आँखों से तो अंधकार में हैं, लेकिन दिल और कल्पना की दुनिया में रंगों का महासागर बहता है। उनकी नयी काव्य शैली ‘एलिटरेशन रिदम’ एक संगीत की तरह कानों में गूँजती है, जैसे शब्द अपने सुर और ताल के साथ नाचते हों। उनकी कविता की शुरुआत अक्सर एक ही अक्षर या ध्वनि से होती है—‘स’ से, ‘अ’ से, ‘म’ से—जैसे हर पंक्ति का अपना संगीत हो।
अंग्रेजी और बांग्ला में लिखी किताब
पढ़ते समय लगता है, शब्द हवा में झूम रहे हैं, ताल के साथ उछल रहे हैं और हर ध्वनि का रंग आँखों से नहीं, बल्कि मन और आत्मा से महसूस होता है। मंडल कहते हैं, कविता मेरे लिए रंगों की तरह है। मैं शब्दों में रंग भरता हूँ, उन्हें सुनता हूँ, महसूस करता हूँ। मेरी आँखें नहीं देख सकतीं, लेकिन मेरी कल्पना हर रंग को गुनगुनाती है। उनकी अंग्रेजी कृति ‘All Asylum’s Anthems are Amazing’ और बांग्ला काव्य पुस्तक ‘अलादिनेर आश्चर्य आलोर आविस्कर’ इसी कल्पना का जीवंत उदाहरण हैं।
दृष्टिहीन कवियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कविता उत्सव की योजना
उनकी कविताओं में सुबह की सुनहरी धूप, बारिश की भीगी मिट्टी की खुशबू, गुलाब की लालिमा और अमरूद के हरे रंग सब कुछ महसूस होता है। हर एलिटरेशन पंक्ति अपने आप में एक रंग-बिरंगा कैनवास है, जहां शब्दों की लय और ध्वनि मिलकर नयी दुनिया रचती है। सत्यजीत मंडल अब इस रंग-बिरंगी काव्य यात्रा को और दूर ले जाने की सोच रहे हैं—दृष्टिहीन कवियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कविता उत्सव, जहां शब्द, ध्वनि और रंग मिलकर अदृश्य आँखों से भी दिखाई देने वाली दुनिया बनाएँ। यह कहानी सिर्फ शब्दों की नहीं, बल्कि रंगों, ध्वनियों और भावनाओं की है। एक ऐसी कविता जो सुनने, महसूस करने और जीने की तरह है।