कोलकाता : हावड़ा नगर निगम में प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय निर्माण सहित विभिन्न परियोजनाओं के लिए दिये गये करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को छह सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता अमन श्रीवास्तव ने 4 नवंबर 2025 को जनहित याचिका दायर की थी।
14 नवंबर को यह याचिका अदालत ने स्वीकार कर ली। आरोप है कि हावड़ा नगर निगम ने 2018-2019 तथा 2021-2022 वित्तीय वर्षों के प्राप्ति एवं व्यय की रिपोर्ट में अनियमितताएं की हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ। इसी पृष्ठभूमि में अमन श्रीवास्तव बनाम भारत संघ एवं अन्य (केस नंबर 481/25) नामक याचिका दायर की गयी।
यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुजय पाल तथा जस्टिस पार्थ सारथी सेन की डिविजन बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया। बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्रीय एजेंसियों तथा राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील राजीव माइती ने बताया कि वे स्वयं हावड़ा नगर निगम क्षेत्र के निवासी हैं और निगम के विभिन्न विभागों में कर भुगतान करते हैं।
करदाताओं को राजस्व के व्यय का हिसाब जानने का पूर्ण अधिकार है। माइती ने कहा कि यह मामला न केवल भ्रष्टाचार उजागर करता है, बल्कि जनता के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक भी है। याचिकाकर्ता अमन श्रीवास्तव ने कहा कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग असहनीय है।
सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर यह मामला और मजबूत होता है। अदालत के निर्देश के बाद अब जांच की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है। हावड़ा नगर निगम पर यह आरोप राज्य में स्थानीय निकायों में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जनहित याचिकाएं पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द घोषित होने की संभावना है।