नई दिल्ली - सीरिया में गुरुवार, 6 मार्च को हुए संघर्ष में अब तक 1,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 750 आम नागरिक शामिल हैं। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, पिछले 14 वर्षों से जारी संघर्ष के दौरान यह अब तक की सबसे घातक घटना मानी जा रही है। देशभर में हो रही ये झड़पें नई सरकार को लेकर जारी तनाव का परिणाम हैं।
सूत्रों के मुताबिक, हिंसा उस समय भड़क उठी जब सशस्त्र बंदूकधारियों ने वर्तमान सरकार के समर्थन में गोलियां चलानी शुरू कर दीं और सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर-अल-असद के समर्थकों को निशाना बनाकर हत्याएं करने लगे।
148 उग्रवादी अब तक मारे जा चुके हैं
सीरिया में हुए इस हमले में अब तक 125 सुरक्षाबलों के सदस्य और 148 उग्रवादी मारे गए हैं। हमले के दौरान अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया, जो कि तीन महीने पहले नए शासन की शुरुआत के बाद से लगातार हो रहा है। बशर-अल-असद के शासनकाल में इस समुदाय के लोगों को सेना सहित कई उच्च पदों पर महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था।
कई गावों में लगाई गई आग
ब्रिटेन स्थित सीरियाई मानवाधिकार वेधशाला के अनुसार, हिंसा के अलावा अलावी बहुल क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी काट दी गई है। वहीं, अलावी समुदाय के गांवों को लूटने के बाद आग के हवाले कर दिया गया। लेबनान के राजनेता हैदर नासिर का कहना है कि अलावी समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा और बचाव के लिए सीरिया छोड़कर लेबनान की ओर पलायन कर रहे हैं।
महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया जा रहा है
सीरिया में हालात बेहद भयावह हो गए हैं। यहां महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाने के बाद बेरहमी से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इस निर्मम घटना ने देश में हिंसा को और भड़का दिया है। सबसे ज्यादा प्रभावित शहर बानियास है, जहां सड़कों पर शव बिखरे पड़े हैं। वहीं, सशस्त्र बंदूकधारियों ने नागरिकों को अपने मृतकों को दफनाने से भी जबरन रोक दिया।