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भारत पर राष्ट्रपति Donald Trump का 'Tariff War' सिर्फ एक पाखंड

कोलकाता: ब्रिटेन से आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूरोप रूसी ऊर्जा उत्पाद का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक होने के साथ रूसी राजस्व को सबसे अधिक बढ़ाने वाला महाद्वीप है।

भारत ने रूसी तेल को सीमित कीमतों पर खरीदकर, उसे रिफाइन करके और उसका एक बड़ा हिस्सा यूरोपीय बाजार में निर्यात करके नियमों का पालन किया है। समस्या यह है कि अगर भारत रूसी कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है, तो दुनिया भर में तेल की कीमतों में तेजी से खलबली मच जाएगी।

वर्तमान में, सऊदी अरब के बाद मास्को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिदिन 45 लाख बैरल कच्चा तेल भेजता है। यूरोपी संघ या अमेरिका का ऐसे में भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए कहना पाखंड के अलावा कुछ नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ लगाना अनुचित और अव्यवहारिक है।

‘ट्रंप की लापरवाही सब बर्बाद कर देगी’

ब्रिटिश लेखक और इतिहासकार ओवेन मैथ्यूज ने कहा है कि भारत के साथ ट्रंप का लापरवाह व्यापार युद्ध यूरोप की कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त कर सकता है।

उन्होंने कहा कि 18वें (और नवीनतम) यूरोपीय प्रतिबंध पैकेज में रूसी कच्चे तेल से बने परिष्कृत तेल उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन तकनीकी रूप से सत्यापित करना असंभव होने के साथ-साथ, कनाडा, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, यूके और अमेरिका के लिए अपवाद बनाए गए हैं, जिससे ये 'प्रतिबंध' निष्प्रभावी हो गया है। और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि रूसी गैस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है या उसकी कीमत पर कोई सीमा नहीं लगाई गई है।

महंगी हो जाएगी बेंट क्रूड

रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 में, रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के तुरंत बाद, रूसी तेल को बाज़ार से बाहर किए जाने के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतें बढ़कर 137 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, जो 2025 की अनुमानित कीमतों से लगभग दोगुनी है। रिपोर्ट में विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप का रूसी तेल को लेकर भारत के साथ खेल जारी रहा तो बेंट क्रूड की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।

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