देश/विदेश

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए Artificial Rain का सफल ट्रायल, जल्द हो सकती है बारिश

र्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि प्रदूषण से राहत दिलाने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग का एक और सफल ट्रायल किया गया है।

कोलकाता : दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि प्रदूषण से राहत दिलाने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग का एक और सफल ट्रायल किया गया है। इस ट्रायल के तहत मेरठ से एक सेसना विमान ने उड़ान भरी और दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बादलों में कृत्रिम वर्षा उत्पन्न करने की प्रक्रिया पूरी की।

इस क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया में खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और आस-पास के अन्य क्षेत्रों को शामिल किया गया। इस दौरान आठ फ्लेयर (रासायनिक पदार्थ) का उपयोग किया गया, जो बादलों में नमी बढ़ाने और वर्षा की संभावना उत्पन्न करने के लिए छोड़े गए। पूरा ऑपरेशन लगभग आधे घंटे तक चला। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ट्रायल के बाद बाहरी दिल्ली के इलाकों में हल्की बूंदाबांदी या बारिश होने की संभावना है, हालांकि यह पूरी तरह बादलों में मौजूद नमी पर निर्भर करेगी।

वर्तमान में दिल्ली में नमी का स्तर सामान्य से थोड़ा कम है, क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार तापमान औसतन 3 डिग्री सेल्सियस तक नीचे है। हवा का रुख उत्तर दिशा की ओर है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि बादल भी बाहरी दिल्ली और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों की ओर बढ़ सकते हैं। मंत्री सिरसा ने बताया कि आज क्लाउड सीडिंग का तीसरा ट्रायल भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद 15 मिनट से लेकर 4 घंटे के बीच किसी भी समय बारिश हो सकती है।

सिरसा ने यह भी बताया कि अगले कुछ दिनों तक इसी तरह की "शॉर्टी" यानी छोटी उड़ानें जारी रहेंगी, ताकि लगातार प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जा सके। दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। कई इलाकों में हवा “बेहद खराब” श्रेणी में दर्ज की गई है।

यह पूरी प्रक्रिया भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बाद की गई है। यह पहली बार है जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराने का इतना व्यापक और समन्वित प्रयास किया गया है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यदि इस तकनीक से पर्याप्त वर्षा होती है, तो वायु में मौजूद धूल और प्रदूषक कण नीचे बैठ जाएंगे और हवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

यह प्रयोग भविष्य में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक संभावित समाधान साबित हो सकता है।

SCROLL FOR NEXT