अमिला राखेचा के कविता संग्रह ‘काजल की मेड़’ का भव्य विमोचन, वरिष्ठ साहित्यकारों ने की गहन परिचर्चा

वाणी प्रकाशन ग्रुप और नीलांबर परिवार द्वारा प्रकाशित अमिला राखेचा के कविता संग्रह 'काजल की मेड़' का विमोचन एवं पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें आमंत्रित वक्ताओं में ख्यात हिंदी लेखक एवं संपादक अरुण कमल, सुरिचित कवि, समीक्षक एवं संपादक प्रियंका पालीवाल, अरुण होता, यतीश कुमार व विनय मिश्रा उपस्थित थे। इस दौरान संग्रह से कविताओं कविता सुनीता गोयल और कल्पना झा द्वारा किया गया। साथ ही लेखकीय वक्तव्य अनिला राखेचा ने किया।
अमिला राखेचा के कविता संग्रह ‘काजल की मेड़’ का भव्य विमोचन, वरिष्ठ साहित्यकारों ने की गहन परिचर्चा
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वाणी प्रकाशन ग्रुप और नीलांबर परिवार द्वारा प्रकाशित अमिला राखेचा के कविता संग्रह 'काजल की मेड़' का विमोचन एवं पुस्तक पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें आमंत्रित वक्ताओं में ख्यात हिंदी लेखक एवं संपादक अरुण कमल, सुरिचित कवि, समीक्षक एवं संपादक प्रियंका पालीवाल, अरुण होता, यतीश कुमार व विनय मिश्रा उपस्थित थे। इस दौरान संग्रह से कविताओं कविता सुनीता गोयल और कल्पना झा द्वारा किया गया। साथ ही लेखकीय वक्तव्य अनिला राखेचा ने किया।

कार्यक्रम के दौरान स्वागत वक्तव्य मृत्युंजय कुमार सिंह द्वारा किया गया। इस दौरान अरुण कमल ने कहा की अनिला राखेचा की कविताओं का यह प्रथम संग्रह ' काजल की मेड़' अनेकानेक संवेदना और विचारों का अद्भुत स्तब्ध है। प्रेम, संघर्ष, घर- परिवार, कुटुम्भ और समाज के विविध अनुभवों और अंतर्मन की बहुविद तरंगा से संपन्न यह संग्रह कुछ सर्वथा नवीन प्रश्नों और चिताओं की गहन अभिव्यक्ति करता है।

इन सभी कविताओं की आधारभूमि करुणा है। हिंदी कविता की यह नई नागरिक ' काजल की मेड़' के साथ सभी काव्य मेड़ों को तोड़कर एक नए उर्वर काव्य त्रिलोक की सृष्टि करेगी ऐसी कामना है और सहृदय पाठक उन्हें वंचित स्नेहा तथा समर्थन प्रदान करेंगे। अनिला राखेचा की कविताएं परंपरागत जीवन की सहज ऊष्मा और आत्मीयता से ओतप्रोत हैं। संपृक्ति और विरक्ति के ताने - माने से रची ये कविता प्रेम के परागण और पूर्णता की विकल उत्कणठा की कविताएं हैं।

किताब के संबंध में अनिला राखेचा ने कहा कि काजल श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैंने एक ऐसी खूबसूरत आँखें देखी थी जो आंसुओं से लबालब भरी हुई थी। मैंने उसी से प्रेरणा ली। बच्चों के बाहर चले जाने के बाद मैंने लिखना शुरू किया था। 2018 से लिखना शुरू किया था। आखिरकार मैंने सभी कविताओं को संग्रह कर एक किताब के रूप में पेश किया है। मंच का संचालन चयनिका दत्ता गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में महेश दुगड़, रवि ओसतवाल, सरिता बोधु, आनंद गुप्ता, महेश राज सिंघवी, हिम्मत बरड़िया, मधु मुंधड़ा, अविनाश गुप्ता, मदन मोहन दमानी समेत कई उपस्थित थे।

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