कोलकाता : मंगलवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और कोलकाता, हावड़ा, विधाननगर व बैरकपुर पुलिस कमिश्नरेट के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाईराइज एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें पटाखों से हाेने वाले नुकसान को लेकर हाईराइज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को सतर्क किया गया। पीसीबी के प्रधान सचिव डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी हाइराइजेज पर ड्रोन से निगरानी की जाएगी। जरूरत पड़ने पर आवश्यक कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके अलावा पुलिस से अपील की गयी कि ग्रीन पटाखें हैं या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए क्यूआर कोड और नीरी के लोगो की चेकिंग जरूर करें।
इधर, हाई राइज एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पीसीबी के चेयरमैन डॉ. कल्याण रुद्र ने कहा कि देश के सबसे प्रदूषित 131 शहरों में पश्चिम बंगाल का कोलकाता, बैरकपुर, हल्दिया, हावड़ा, दुर्गापुर और आसनसोल शामिल है। बारिश का मौसम सबसे बेहतर होता है क्योंकि उस समय हवा से सभी प्रकार के पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर धुल जाते हैं। हालांकि बारिश के बाद अक्टूबर महीने से फिर प्रदूषण फैलने लगता है।
सबसे खतरनाक पीएम 10 व पीएम 2.5 : डॉ. कल्याण रुद्र ने बताया कि सबसे खतरनाक पीएम 10 व पीएम 2.5 होते हैं। उन्होंने कहा कि एक साल में 14 हजार टन पीएम 10 कोलकाता की हवा में प्रवेश करता है। केवल दिवाली के दिन ही 100 मि.ग्रा. के बजाय 900 मि.ग्रा. तक पर्टिकुलेट मैटर फैल जाते हैं।
डीजे में साउंड लिमिटर का इस्तेमाल आवश्यक
पीसीबी के प्रधान सचिव डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि दूसरे राज्यों में टेस्टिंग के लिए पटाखे भेजने में असुविधा होती थी जिस कारण हमने हल्दिया में टेस्टिंग सेंटर बनाया जहां से पटाखों की टेस्टिंग अब इसी राज्य में की जा रही है। उन्होंने कहा कि सीएम ने गत सोमवार को कहा कि डीजे का इस्तेमाल भी एक बड़ा मुद्दा है। यह संदेश सब तक पहुंचना आवश्यक है। हमने इस बाबत राज्य के डीजीपी को एक ईमेल भी भेजा है। कितने साउंड सिस्टम सप्लायर राज्य में हैं, इसका आंकड़ा हमारे पास है। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में चेकिंग के लिए नॉइज लिमिटर डिवाइस का इस्तेमाल आवश्यक है। हमने प्रत्येक पुलिस स्टेशन को इसके लिए एक-एक नॉइज लिमिटर भी दिया है। लगभग 2000 साउंड लेवल मीटर भी हमने दिया है। कहीं से कोई शिकायत आयी और साउंड की मात्रा मापनी हो तो पुलिस अधिकारी इसे माप सकते हैं।