हुगली: चंदननगर का बाकुबपुर मोड़ जहां पर चार लोग चाय के अड्डे पर घर की बातें नहीं बल्कि चुनाव में कौन आगे-पीछे है, इसकी चर्चा कर रहे थे। थोड़ी देर वहां बैठने पर पता चला कि कोई लॉकेट बनर्जी को जीतने का फिर से चांस बता रहे हैं तो कोई रचना टक्कड़ दे सकती है, इसकी संभावनाएं चता रहे हैं। जी हां कुछ ऐसा ही चल रहा हुगली के बीच जनता का मिजाज। यहां दोनों तरफ से लड़ाई तेज है।
सिंगुर जहां नैनो कार परियोजना के लिए जमीन विवाद हुआ था, वह इसी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। यहां के मतदाता भी काफी जागरूक हैं। इस बार जनता का मिजाज कैसा है, चुनाव को लेकर कितने सजग है। सन्मार्ग की टीम ग्राउंड जीरो से आपके लिए ये रिपोर्ट लाई है।
दो अभिनेत्रियों में लड़ाई दिलचस्प : इस बार राज्य के 42 लोकसभा में से एक हुगली जिला सुर्खियों में है। इसके पीछे का कारण दो अभिनेत्रियों की लड़ाई है। यहां से BJP ने एक बार फिर से सांसद लॉकेट चटर्जी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं तृणमूल से रचना बनर्जी मैदान में है। टीवी में प्रसारित होने वाला बंगला शो दीदी नम्वर वन से रचना काफी प्रसिद्ध है। हालांकि इसका उन्हें फायदा होगा या नहीं यह तो 4 जून को ही पता चलेगा। मगर इस बार हुगली में चुनावी लड़ाई जोरदार है। अगर किसी एक तरफ थोड़ा भी पल्ला भारी हुआ तो पासा बदल सकता है।
इस क्षेत्र की अहम जानकारियां
कुल जनसंख्या 2117807
ग्रामीण आबादी 58.3 %
शहरी आबादी 41.7 %
एससी 26.76%
कुल वोटर्स 1858067
महिला वोटर्स 932784
पुरुष वोटर्स :925219 तथा थर्ड जेंडर : 64
कुल पोलिंग स्टेशनों की संख्या : 2048
एक से बढ़कर एक मुद्दा : यहां की जनता भी वोट को लेकर काफी सजग है। एकाध को छोड़ दें तो लोगों को पता है कि कब वोट देना है।
अपने स्टार उम्मीदवारों को भी यहां की जनता बखूबी जानती है। दिल्ली से लेकर बंगाल तक कई मुद्दे लोगों के जहन में है। चंदननगर से लेकर सिंगुर हो या बालागढ़ मतदाताओं में अपने अपने अलग मुद्दे हैं। नन्हीपुकुर निवासी कुणाल ने कहा कि कोई भी पार्टी जितना भी जनहित योजना दे पर खर्च तो जनता का पैसा ही हो रहा है। भदेश्वर के दिलीप माल ने कहा कि बंगाल क्या हो गया है। दीदी को देखकर वोट दिया था मगर कई ऐसे नेता घुस गये जो बंगाल को बदनाम कर दिया। यहां माकपा भी देखा है, तृणमूल भी देखा और भाजपा भी। अभी देखते है इस बार क्या करना है। एक अन्य मतदाता तारकनाथ राय ने कहा कि नंदीपुकुर में जितना काम होना चाहिए था नहीं हुआ।
उन्होंने यह भी कहा कि इस बार भाजपा और तृणमूल में मुकाबला हो रहा है। भ्रष्टाचार कहे या मिड डे मील की क्लवालिटी, स्कूलों में शिक्षक का अभाव। चुनाव पर इन सभी का असर जरूर पड़ेगा। बेराबेरी बाजार के रहने वाले सुशील घोष ने कहा कि हमें पता है कि केंद्र में कौन चाहिए और राज्य में कौन।
एक नजर चुनावी आंकड़े पर: हुगली लगातार माकपा का यह गढ़ रहा है। 2009 में तृणमूल की डॉ रत्ना दे नाग ने 6 बार से सांसद रहे सीपीएम के दिग्गज नेता को हरा दिया था। 2019 में हुगली सीट पर बीजेपी की लॉकेट चट्टोपाध्याय ने तृणमूल की दो बार की सांसद रत्ना दे नाग को करीब 75,000 वोटों से हराकर पहली बार सांसद बनीं।
रिपोर्ट- सबिता राय