नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने बड़ा फैसला लेते हुए अब वंदे भारत और शताब्दी ट्रेनों में एक लीटर पानी की बोतल पर रोक लगा दी है। इसके बजाय यात्रियों को 500 मिलीलीटर रेल नीर की बोतलें मिलेंगी। यह बदलाव पानी की बर्बादी को रोकने के लिए किया गया है। अब वंदे भारत और शताब्दी की ट्रेनों में यात्रियों को 500 मिलीलीटर रेल नीर पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर (पीडीडब्ल्यू) की बोतलें मिल सकेंगी। इसके साथ यात्रियों के पास बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ट्रेन स्टाफ से अतिरिक्त 500 मिलीलीटर की बोतल का अनुरोध करने का विकल्प होगा।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) दीपक कुमार का कहना है कि यह फैसला पीने योग्य पानी के अनावश्यक उपयोग को कम करने की दिशा में उठाया गया कदम है। 500 मिलीलीटर की छोटी बोतलें प्रदान करके रेलवे का लक्ष्य है कि राजधानी ट्रेनों जैसी लंबी यात्राओं के अलावा आमतौर पर वंदे भारत ट्रेनों में देखी जाने वाली छोटी यात्रा की दूरी को बेहतर ढंग से पूरा करना है।
इसलिए उठाया ये कदम
ऐसा कहा जा रहा है कि यात्रियों के लिए 8.5 घंटे तक की यात्रा के लिए सीमित पानी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। यहां पर एक लीटर की बड़ी बोतल के बजाय 500 मिलीलीटर रेल नीर की बोतलें मिला करेंगी। वहीं लंबी दूरी की शताब्दी ट्रेनों में यात्रियों को एक लीटर पानी की बोतल मिलेगी। इस तरह से छोटी दूरी के लिए 500 लीटर पानी की व्यवस्था होगी। मांगने पर आपको दूसरी बोतल मिल पाएगी।
रीसाइकल्ड पानी का उपयोग कर रहा रेलवे
जल संरक्षण को बढ़ावा देने लिए मध्य रेलवे सक्रिय रूप से कोच और प्लेटफॉर्म की सफाई को लेकर रीसाइकल्ड पानी का उपयोग कर रहा है। 32 रीसाइकल्ड संयंत्रों के जरिए हर दिन करीब एक करोड़ लीटर रीसाइकल्ड पानी का उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त, 158 स्थानों पर बरसात के पानी को लेकर जल संचयन इकाइयां स्थापित की गई हैं। तीन स्वचालित कोच-वाशिंग संयंत्रों की स्थापना ने संरक्षण प्रयासों में योगदान दिया है। इसके अलावा, मध्य रेलवे ने स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने और बनाए रखने को लेकर विभिन्न स्थलों पर पांच लाख पेड़ लगाकर व्यापक वनीकरण परियोजनाएं आरंभ की है।