नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ सभी वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की सभी पर्चियों के मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने EVM- VVPAT मामले में इस तकनीक से जुड़े चार- पांच और बिंदुओं पर जानकारी मांगी और निर्वाचन आयोग के अफसरों को दोपहर दो बजे बाद बुलाया था।
इस सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दत्ता की पीठ ने कहा कि, “हम चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते, हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण के कामकाज को नियंत्रित नहीं कर सकते। ECI ने संदेह दूर कर दिया है। हम आपकी विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते, हम ये नहीं कर सकते कि सिर्फ संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर दें।’ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि, ‘ईवीएम में प्रोसेसर चिप सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम कर सकती है, इस पर संदेह है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने इस पर कहा कि निर्वाचन आयोग एक बार के बाद चिप को नष्ट कर देता है।
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प्रशांत भूषण ने वीवीपैट चिप के प्रभावित होने की आशंका जताई, जिस पर जस्टिस खन्ना ने याद दिलाया कि चिप की फ्लैश मेमोरी चार मेगाबाइट है और यह सॉफ्टवेयर नहीं, सिंबल रखता है। यह प्रोग्राम नहीं, सिर्फ इमेज फाइल होती है। प्रशांत भूषण आगे बोले कि उसमें गलत सॉफ्टवेयर डाल कर मतदान प्रभावित हो सकता है। जस्टिस दत्ता ने इस पर कहा- ऐसी बात होगी तो उसके लिए भी कानून है। हम पूरे चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। वह चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया के हर कदम की निगरानी करता है।
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