… इस मामले में बुरा फंसा नेस्ले ! | Sanmarg

… इस मामले में बुरा फंसा नेस्ले !

नई दिल्ली : नेस्ले बेबी फुड के मामले में में सरकार ने फूड रेगुलेटर को चिट्ठी लिखी है। इस मामले में उपभोक्‍ता मामले के मंत्रालय के सचिव ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) को चिट्ठी लिखकर कहा है कि पब्लिक आई की रिपोर्ट पर गंभीरता से जांच की जाए। नेस्ले के बेबी फूड में मानक से अधिक चीनी और अन्य चीजें बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालेंगे। ऐसे में इस पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। बता दें कि पब्लिक आई की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद सरकार इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है। सरकार का साफ कहना है कि डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा। इस मामले के सामने आने के बाद सरकार अन्य कंपनियों को भी जांच के दायरे में ला सकती है। ऐसे में बेबी फूड बनाने वाली सभी कंपनियों के उत्पादों की मानक के अनुसार जांच संभव है।

जानें क्‍या है पूरा मामला

हाल ही में पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि FMCG कंपनी नेस्ले भारत जैसे विकासशील देशों और निम्‍न आय वाले देशों में बच्‍चों के दूध और सेरेलेक जैसे प्रोडक्‍ट्स में ज्‍यादा चीनी और शहद जैसी चीजों का इस्‍तेमाल करता है, जबकि यही प्रोडक्‍ट्स ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में बगैर चीनी के बेचे जा रहे हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएफएएन ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कंपनी के बेचे जा रहे बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स के सैंपल्‍स को बेल्जियम की लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया। जांच में सामने आया कि भारत में बिकने वाले नेस्ले के बच्चों से जुड़े उत्पादों की प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में करीब 4 ग्राम चीनी पाई गई।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी प्रोडक्‍ट्स में मिली। वहीं 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी है। वहीं स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले नेस्‍ले के इन्हीं प्रोडक्‍ट्स में चीनी नहीं पाई गई।

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