हाई कोर्ट ने दिया जांच के बाद भुगतान का आदेश
कोलकाता : एसिड पीड़ित को पर्याप्त मुआवजा पाने का हक है। इस बाबत दायर एक मामले की सुनवायी करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्या ने यह टिप्पणी की। उन्होंने स्टेट लीगल सर्विसेस ऑथरिटी (एसएलएसए) को आदेश दिया है कि पीटिशनर के दस्तावेजों की जांच के बाद पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। उन्होंने इस बाबत फैसला लेने के लिए दो माह का समय तय कर दिया है।एडवोकेट स्नेहा सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सूर्य शंकर बारिक ने यह पीटिशन दायर किया था। यहां गौरतलब है कि एसिड पीड़ितों के मामले में तीन लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्या ने अपने आदेश में कहा है कि इस कोर्ट को संविधान की धारा 226 के तहत अतिरिक्त मुआवजा देने की संस्तुति करने का अधिकार है। उन्होंने एसएलएसए को आदेश दिया है कि वह इस मामले की पड़ताल करेगी और इसके समाप्त होने के बाद पीटिशनर को पर्याप्त मुआवजा देगी। उन्होंने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि पीटिशनर ने अधिक मुआवजा पाने के पर्याप्त आधार पेश किया है। लिहाजा उसे अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए। उसे इलाज के लिए और रकम की जरूरत है। एसिड से हमले के कारण उसके चेहरे को जो क्षति पहुंची है उसका आकलन अपंगता के प्रतिशत के आधार पर नहीं किया जा सकता है। एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी ने पीटिशनर की तरफ से पैरवी करते हुए कहा था कि वह एक पैराटीचर है और उसकी इतनी आय नहीं है कि मुआवजे के मद में मिली रकम के खर्च करने के बाद आगे इलाज के लिए और खर्च कर सके। जबकि समाज की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए आगे का इलाज कराना जरूरी है। एडवोकेट चटर्जी ने कहा कि उसे प्लास्टिक सर्जरी कराने के साथ ही और अन्य मेडिकल प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा जिस पर भारी खर्च आएगा। एसिड हमले के कारण उसका चेहरा बदरंग हो गया है।