Durga Puja 2023 : इस बार खास है उत्तर कोलकाता की पूजा पंडालों की थीम | Sanmarg

Durga Puja 2023 : इस बार खास है उत्तर कोलकाता की पूजा पंडालों की थीम

कोलकाता : मां दुर्गा के आगमन के साथ दुर्गापूजा की धूम शुरू हो गई है। द्वितीया वाले दिन से ही उत्तर कोलकाता के विभिन्न पंडालों में दर्शकों की भीड़ उमड़ने लगी है। उत्तर कोलकाता के कई पंडाल हर साल की तरह इस साल भी अपने लोगों के लिये कुछ नया और खास लेकर आये हैं। देखिये उत्तर कोलकाता के पंडालों के कुछ खास नजारे।
दमदम पार्क युवक बृंद दुर्गापूजा कमेटी – सृष्टि व संतुलन

दमदम पार्क युवक बृंद दुर्गापूजा कमेटी कई दशकों से लोगों के लिये कुछ नया लेकर आती है। इस साल यह कमेटी सृष्टि व संतुलन को दिखाने जा रही है। इस पंडाल में सृष्टि की रचना व प्रकृति के संतुलन को दर्शाया जा रहा है। वहीं पंडाल के अंदर गृर्भ गृह बनाया गया है। इसके अलावा बाहरी पंडाल में इंडोनेशिया की रामायण को दिखाया गया है, साथ ही मां दुर्गा को भी इसी रूप में दिखाया जायेगा। बताते चलें कि इस इस तरह की थीम को कोलकाता में पहले कभी नहीं बनाया गया है। इसके अलावा पंडाल के मुख्य द्वार में फेमस बैलेंसिंग रॉक्स को बनाया गया है। इसके लेकर पूजा कमेटी के सेक्रेटरी दीप्तदीप चौधरी व पंडाल के आर्टिस्ट सुदीप साहा ने बताया कि पंडाल के जरिये लोगों को सृष्टि के संतुलन और विदेशी रामायण की जानकारी दी जा रही है। इसे बनाने के लिये 20 से 22 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं। वहीं मां दुर्गा की प्रतिमा पिंटू दास बना रहे हैं।
दमदम पार्क सार्वजनीन दुर्गोत्सव – एकता की ताकत


‘एकता में बल है’, ये कहावत हर किसी ने अपने स्कूल में सुनी है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते चले जाते हैं, इस कहावत को भूल जाते हैं। इसी कहावत को लोगों के जेहन में एक बार फिर से ताजा करने के लिये दमदम पार्क सार्वजनीन दुर्गापूजा ने नयी पहल की है। इसे लेकर दमदम पार्क सार्वजनीन दुर्गापूजा के सचिव प्रीतम भट्टाचार्य ने कहा कि आज के समय में लोगों में शारीरिक एकता तो है लेकिन मानसिक तौर पर वे आज भी पुराने खयालात के ही हैं। जाति-पात, धर्म को लेकर लड़ते हैं और एक-दूसरे से घृणा करते हैं। इसी भेद-भाव को कम करने के लिये 72वीं पूजा में इस यूनिक थीम को रखा गया है। मां दुर्गा की प्रतिमा इसी थीम के आधार पर बनाई जायेगी। इस वर्ष पूजा का कुल बजट 13 लाख रुपये रखा गया है। मां की मूर्ति और थीम डिजाइन शिल्पकार दीपांशु दास बना रहे हैं। पंडाल को रोशनदार और अनूठा दिखाने के लिए लाइटिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
काशी बोस लेन – ‘चाय ना होते उमा’


काशी बोस लेन दुर्गा पूजा एसोसिएशन अपनी 86वीं वर्षगांठ पर अद्भुत थीम लेकर आया है जिसे देखने के लिये लाखों लोग उत्सुक हैं। इस बार वह ‘चाय ना होते उमा’ पर आधारित पंडाल बना रहा है। बता दें कि इस पंडाल में महिला तस्करी को दिखाया जा रहा है। इसके अलावा बच्चियों व महिलाओं पर होने वाले शोषण को भी दर्शाया जायेगा जो कोलकाता के सबसे बड़े पूजा पंडालों में से एक होगा। उत्तरी कोलकाता की सबसे पुरानी बारवारी पूजाओं में से एक, काशी बोस लेन ने अपने असाधारण विषय-विचारों से हमें आश्चर्यचकित करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देता है। गौरतलब है कि इस पूजा पंडाल में पिंटू दास ने अपनी कारीगरी और सोच को खूबसूरती से दर्शाया है। वहीं मां दुर्गा की प्रतिमा कोलकाता के मशहूर मूर्तिकार अमल पाल बना रहे हैं। इस साल पूजा का कुल बजट 45 लाख रुपये है।
लेकटाउन अदिवासी बृंद दुर्गोत्सव – राजस्थान ‘ऋद्धि’


राजस्थान व मध्यप्रदेश की संस्कृति को बंंगाल तक पहुंचाने का कार्य लेकटाउन अधिवासी बृंद दुर्गोत्सव कर रहा है। इस बार थीम के तौर पर राजस्थान व एमपी के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सभ्यता को दर्शाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इन दो राज्यों के लोग ‘ऋद्धि’ को पूजते हैं जो कि सुख-समृद्धि लाती हैं और बुरे नजरों से बचाकर रखती हैं। साथ ही राजस्थान की कलाकृति व कारीगरी को भी दिखाया जा रहा है। इसे लेकर लेकटाउन अदिवासी बृंद दुर्गोत्सव के सचिव सोमेन बोस ने कहा कि इस बार पंडाल में किसी भी प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। नेट में जूट का काम हो या फिर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाना, सभी कार्य आर्टिस्ट प्रशांत पाल ने अपने हाथों से किया है। उन्होंने बताया कि इस पंडाल में 25 लाख रुपय तक खर्च किये गये हैं।
पूर्व कलिकाता सार्वजनीन दुर्गोत्सव – निर्माण व सृष्टि


पूर्व कलिकाता सार्वजनीन दुर्गोत्सव अपने बहतरीन पूजा पंडाल के लिये कई दशकों से पूरे महानगर में मशहूर है। इस बार पूजा कमेटी ने सृष्टि के निर्माण को दिखाया है, जिसे देखना काफी दिलचस्प होगा। इसे लेकर पूजा कमेटी के पीआर शुभ्रोकांति लोध ने कहा कि इस वर्ष पूजा का बजट 12 से 13 लाख रुपये रखा गया है। वहीं इस बार सृष्टि के निर्माण व उसके संचालन को दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि इस थीम व मूर्ति का अद्भुत कार्य समर बारिक व सुजाता मुखर्जी कर रहे हैं। गौरतलब है कि इस साल पूर्व कलिकाता सार्वजनीन दुर्गोत्सव अपनी 77वीं पूजा का आयोजन कर रहा है।

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