मणिपुर: छात्रों की मौत मामले में हिंसक प्रदर्शन, DC दफ्तर में तोड़फोड़ | Sanmarg

मणिपुर: छात्रों की मौत मामले में हिंसक प्रदर्शन, DC दफ्तर में तोड़फोड़

इंफाल: मणिपुर में दो छात्रों के शव की तस्वीर वायरल होने के बाद शुरू हुआ बवाल गुरुवार (28 सितंबर) को भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने इंफाल वेस्ट में डिप्टी कमिश्नर ऑफिस में तोड़फोड़ की। इसके अलावा सुरक्षा में लगे 2 गाड़ियों में भी आग लगा दी। बता दें कि यह जानकारी अधिकारियों की ओर से दी गई है। बता दें कि हिंसा मंगलवार(26 सितंबर) को शुरू हुई। जब एक लड़का और एक लड़की के शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। दोनों छात्र जुलाई महीने से ही लापता थे।

CRPF जवानों ने हालात काबू में किया

जानकारी के मुताबिक बीती रात उरीपोक, यैसकुल, सगोलबंद और टेरा इलाकों में प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाबलों से झड़प हुई। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों को रिहायशी इलाकों में घुसने से रोकने के लिए टायर जलाकर सड़कों को जाम कर दिया। उन्होंने बताया कि भीड़ ने डीसी दफ्तर में तोड़फोड़ की और 2 गाड़ियों को फूंक दिया। CRPF के जवानों ने किसी तरह हालात को काबू में किया। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के कई गोले छोड़ने पड़े। इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुरक्षाबलों के हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के बीच कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया है। इन प्रदर्शनों में मंगलवार से लेकर अब तक 65 प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं।

उपद्रवियों की तलाश में जारी सर्च ऑपरेशन

एक बयान में मणिपुर पुलिस ने कहा कि भीड़ ने पुलिस की एक गाड़ी को निशाना बनाया और उसमें आग लगा दी जबकि एक पुलिसकर्मी से मारपीट की और उसका हथियार छीन लिया। उन्होंने कहा कि अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा। छीने गए हथियारों को बरामद करने और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया है।

हिंसा में अबतक 180 लोगों की हुई मौत

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 फीसदी है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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