

नई दिल्ली: देश आज स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। आज के दिन को देश में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सम्मान में वकील दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 3 दिसंबर को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का 141वाँ जन्मदिवस मनाते हुए कई प्रसिद्द व्यक्तियों ने उन्हें याद किया।
जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री का नमन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी - “भारतरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा, संविधान निर्माण के प्रमुख स्तंभ और देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में उनकी सेवा सदैव प्रेरणा देती रहेगी।”
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
३ दिसंबर १८८४ को बिहार के जीरादेई (सारण) में जन्मे डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त की और पटना में सफल वकालत शुरू की। शीघ्र ही वे बिहार-उड़ीसा के प्रसिद्ध वकील बन गए।
स्वतंत्रता संग्राम में त्याग और योगदान
महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने सम्पन्न वकालत त्याग दी और पूर्ण रूप से स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े। असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहे। कई बार जेल गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुने गए।
संविधान निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका
संविधान सभा के स्थायी सभापति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रारूप समिति के साथ मिलकर भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया। उनका धैर्य, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण आज भी अनुकरणीय है।
देश के प्रथम राष्ट्रपति और सादगी की मिसाल
26 जनवरी 1950 को वे भारत के सर्वसम्मत प्रथम राष्ट्रपति बने तथा 1950 से 1962 तक दो पूर्ण कार्यकाल तक पद पर रहे। साइकिल से संसद जाना, राष्ट्रपति भवन में गाय पालना और सादा जीवन उनकी पहचान बन गए।
राष्ट्रीय वकील दिवस के रूप में मनाया जाता है जन्मदिवस
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस ३ दिसंबर को पूरे देश में “राष्ट्रीय वकील दिवस” (National Advocates’ Day) के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उन्होंने वकालत के क्षेत्र में शिखर छुआ और बाद में उसे राष्ट्रसेवा के लिए त्याग दिया। 1962 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 28 फरवरी 1963 को पटना में उनका देहावसान हुआ।