नगा समूहों ने इतिहास को समकालीन वास्तविकताओं से संतुलित करने की आवश्यता पर जोर दिया

नगा संगठनों ने चेताया, इतिहास और वर्तमान राजनीतिक वास्तविकताओं में संतुलन जरूरी
प्रतीकात्मक चित्र
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दीमापुर: ‘वर्किंग कमेटी ऑफ नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स’ (डब्ल्यूसी-एनएनपीजी) ने कहा कि ‘‘ऐतिहासिक वास्तविकताएं समकालीन वास्तविकताओं से मेल खानी चाहिए।” संगठन ने शीर्ष नगा जनजातीय संगठनों को नगा इतिहास के एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचने के ‘‘चयनात्मक भूल’’ से बचने की चेतावनी दी।

सात नगा समूहों का संगठन

सात नगा समूहों से मिलकर बने डब्ल्यूसी-एनएनपीजी ने एक बयान में कहा कि अधिकांश जनजातीय होहो ने 2016 से 2019 के बीच हुए व्यापक विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया था और नगा राजनीतिक वार्ताओं में प्रमुख हितधारक के रूप में संयुक्त बयान जारी किए थे। उन्होंने कहा कि 17 नवंबर 2017 को एनएनपीजी और केंद्र के बीच हस्ताक्षरित ‘एग्रीड पोज़िशन’ जनजातीय निकायों, गिरजाघरों, प्रार्थना समूहों और गांवों के संरक्षकों के साथ वर्षों की चर्चाओं का परिणाम था।

2017 में एनएनपीजी और नगा समूहों के बीच हुई थी औपचारिक वार्ता

समूह ने कहा कि केंद्र ने अक्टूबर 2017 में एनएनपीजी को औपचारिक वार्ता के लिए आमंत्रित किया था, और वार्ता के दौरान नगा प्रतिनिधिमंडल ने ‘‘नरम व व्यावहारिक’’ दृष्टिकोण अपनाया था। डब्ल्यूसी-एनएनपीजी ने कहा कि केंद्र और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएन) के बीच तीन अगस्त 2015 को फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर होने के बाद वार्ता के प्रयासों में कमी आई।

केंद्र और नगा समुदाय के बीच असमंजस की स्थिति

समूह ने 2017 के समझौते के मूल सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि नगाओं के भविष्य का निर्धारण करने के अधिकार को ‘‘समकालीन राजनीतिक वास्तविकताओं’’ के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। केंद्र ने अक्टूबर 2019 में घोषणा की थी कि दोनों समूहों के साथ नगा वार्ताएं समाप्त हो गई हैं।

एक ओर एनएनपीजी “कार्यान्वयन योग्य” समाधान स्वीकार करने और बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है, तो दूसरी ओर एनएससीएन-आईएम अलग झंडे, अलग संविधान और सभी नगा-बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की अपनी मांगों पर अडिग है, जिन्हें केंद्र ने अस्वीकार कर दिया है। इसी वजह से दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे का अंतिम समाधान अब तक लंबित है।

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