रेयर अर्थ पर मोदी सरकार का बड़ा कदम, कैबिनेट ने कई प्रमुख प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी

बैठक के दौरान रेयर अर्थ परमानेंट मैगनेट मैन्युफैक्चरिंग, पुणे मेट्रो का विस्तार, देवभूमि द्वारका(ओखा)- कनालुस रेलवे लाइन को डबल करने के साथ ही बदलपुरा-करजत की तीसरी और चौथी रेलवे लाइन से जुड़े बड़े फैसले लिए गए।
Ashvini Vaishnav
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नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'तीन और बड़े प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी मिल गई है, पुणे मेट्रो एक्सटेंशन, द्वारका जी नहर का डबलिंग और रेलवे लाइन और बदलापुर से कर्जत तक तीसरी और चौथी रेलवे लाइन। इन सभी प्रोजेक्ट्स से हमारे देश के लोगों को फ़ायदा होगा।'

पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेटी कमेटी की मीटिंग हुई। बैठक के दौरान रेयर अर्थ परमानेंट मैगनेट मैन्युफैक्चरिंग, पुणे मेट्रो का विस्तार, देवभूमि द्वारका(ओखा)- कनालुस रेलवे लाइन को डबल करने के साथ ही बदलपुरा-करजत की तीसरी और चौथी रेलवे लाइन से जुड़े बड़े फैसले लिए गए।

यह बहुत जरुरी कदम है : अश्विनी

अश्विनी वैष्णव ने और भी जानकारी देते हुए कहा 'हम सभी जानते हैं कि रेयर अर्थ और परमानेंट मैग्नेट अब एक स्ट्रेटेजिक सेक्टर का हिस्सा बन गए हैं। COVID के दौरान, यह देखा गया कि मैग्नेट और चिप्स की कमी के कारण, कई चीज़ों, चाहे वे कार हों या इलेक्ट्रॉनिक्स, की मैन्युफैक्चरिंग रुक गई थी। परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक बड़े प्रोग्राम को अब मंज़ूरी मिल गई है, जो उल्लेखनीय है।

इस योजना का कुल खर्च 7280 करोड़ रुपये है। इसमें पांच (5) वर्षों के लिए आरईपीएम बिक्री पर 6450 करोड़ रुपये के बिक्री-लिंक्ड प्रोत्साहन और कुल 6000 एमटीपीए आरईपीएम विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए 750 करोड़ रुपये की पूंजी सब्सिडी शामिल है।

गुजरात और राजस्थान अच्छे रेयर अर्थ डिपॉज़िट

अश्वनी वैष्णव ने यह भी कहा, 'गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में बहुत अच्छे रेयर अर्थ डिपॉज़िट हैं। पहाड़ी इलाकों में मिलने वाला रेयर अर्थ भारी होता है, जबकि मैदानी इलाकों में मिलने वाला हल्का होता है। दोनों तरह के रेयर अर्थ का इस्तेमाल परमानेंट मैग्नेट बनाने के लिए किया जाता है।'

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हमारा मेट्रो नेटवर्क अब 1,083 किलोमीटर तक पहुंच गया है। 2014 से पहले, कुछ ही शहरों में मेट्रो सेवाएं थीं, लेकिन आज, बीस से ज़्यादा शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि अपनी तरह की इस पहली पहल का मकसद भारत में 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) की इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) मैन्युफैक्चरिंग स्थापित करना है। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारत ग्लोबल REPM मार्केट में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर अपनी जगह बना सकेगा।

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