आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 40 मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ की बैठक

बैठक में हिन्दू-मुस्लिम के बीच कैसे एकता और शांति को बनाया जाए इस पर चर्चा हुई
आरएसएस प्रमुख भागवत से मिलने से पहले विभिन्न जगहाें से आए मुस्लिम धर्मगुरु
आरएसएस प्रमुख भागवत से मिलने से पहले विभिन्न जगहाें से आए मुस्लिम धर्मगुरु
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नई दिल्ली: हरियाणा भवन में गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की 40 मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ बैठक हुई। ढाई घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में मुस्लिम पक्ष की ओर से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु शामिल हुए। जबकि भागवत के साथ संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के इंद्रेश कुमार भी शामि हुए। इस बैठक में हिन्दू-मुस्लिम के बीच कैसे एकता और शांति को बनाया जाए इस पर चर्चा हुई। इसके साथ ही समाज को बांटने वाले कारकों को खत्म करने पर भी चर्चा हुई। यह बैठक संघ की दूसरे समुदायों के साथ मेल-मिलाप की कोशिशों की एक कड़ी थी।

आरएसएस प्रमुख के साथ हुई बैठक के बाद लखनऊ से आए टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैय्यद फ़ज़लुल्ल मन्नान रहमानी ने कहा कि बीते 100 साल में इस तरह की बैठक कभी भी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के साथ नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जिस सद्भावपूर्ण माहौल में हर मुद्दों पर चर्चा हुई और जिस तरह से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबकी बातों को धैर्य से सुना वह काबिले तारीफ था। उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान आरएसएस प्रमुख ने कई बातें कहीं। उन्होंने बताया कि सब इस बात पर सहमत हुए इस तरह की मुलाकातें हर राज्य में समय-समय पर होती रहनी चाहिए।

बैठक में शामिल मुस्लिम बुद्धिजीवी फिरोज बख्त ने कहा कि बीजेपी में जो मुस्लिम चेहरे हैं उनके पास मुसलमानों का भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि आरएसएस को ऐसे मुस्लिम चेहरों को आगे लाना चाहिए जो मुस्लिम समाज की प्रगति को लेकर लगातार काम कर रहा हो और जिसके पास मुस्लिमों का भरोसा हो। बख्त ने कहा कि खुद मोहन भागवत ने कहा था कि भारत के हिन्दू और मुसलमानों का डीएनए एक ही है। उन्होंने कहा कि वफ्फ बोर्ड में सुधार करना बहुत बड़ा और अच्छा कदम था।

इस बैठक से पहले मंगलवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में पंथ-संप्रदायों के अलग-अलग दर्शन हैं लेकिन इसके बाद भी झगड़ा किए बगैर ये चल रहा है। हमारे बीच शास्त्रार्थ होता है लेकिन झगड़ा नहीं होता है। यही कारण है कि संघ की दृष्टि एक है संप्रदाय भले देश में अलग-अलग हों। कई बार परस्पर विरोधी भी होते हैं आचार-विचार की भिन्नता है लेकिन पूरा देश एक दृष्टि लेकर चलता आया है। उन्होंने कहा था कि हम लोगों ने परिवर्तन कभी अपनी शिक्षा या अपनी नीति थोपकर नहीं किया, यही भारतीय तरीका है।

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