कोलकाता : श्रावण मास के बीच 18 जुलाई यानी आज से अधिक मास लग रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार, सावन में अधिक मास का संयोग पूरे 19 साल बाद बन रहा है। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। अधिक मास में मांगलिक कार्य तो वर्जित रहते हैं, लेकिन भगवान की आराधना, जप-तप, तीर्थ यात्रा करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इसमें विष्णु जी की आराधना बेहद फलदायी होती है। इस बार अधिक मास 18 जुलाई 16 अगस्त तक रहेगा।
अधिक मास का महत्व
अधिक मास को पहले बहुत अशुभ माना जाता था। बाद में श्रीहरि ने इस मास को अपना नाम दे दिया, तबसे अधिक मास का नाम ‘पुरुषोत्तम मास’ हो गया। इस मास में भगवान विष्णु के सारे गुण पाए जाते हैं, इसलिए इस मास में धर्म कार्यों के उत्तम परिणाम भी मिलते हैं।
अधिक मास में क्या न करें?
यह आध्यात्म का महीना होता है। इस महीने भौतिक जीवन से संबंधित कार्य करने की मनाही है। विवाह, कर्णवेध, चूड़ाकरण आदि मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। गृह निर्माण और गृह प्रवेश भी वर्जित होता है, लेकिन जो कार्य पूर्व निश्चित हैं, उन्हें संपन्न किया जा सकता है।
अधिक मास में कौन से कार्य करना लाभदायक?
इस महीने नियमित रूप से श्री हरि, गुरु या ईष्ट की आराधना करें। जहां तक संभव हो आहार, विचार और व्यवहार सात्विक रखें। पूरे महीने श्रीमदभागवत या भगवदगीता का पाठ करें। निर्धनों की सहायता करें। अन्न, वस्त्र और जल का दान करें। इसमें पूर्वजों और पितरों के लिए किए गए कार्य भी लाभदायी होते हैं।
अधिक मास में कैसे ग्रहों को अनुकूल बनाएं?
अधिक मास में प्रातः और सायंकाल भगवान कृष्ण की उपासना करें। संध्या काल को उनके समक्ष दीपक जरूर जलाएं। नियमित रूप से भगवान की कथा का श्रवण करें। निर्धनों को जल और ऋतुफल का दान करें। माह के अंत में तीस की संख्या में मिठाई का दान करें।
क्यों लगता है अधिक मास?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर तीन साल में एक बार अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है, जिसे अधिक मास, मल मास या पुरुषोत्तम कहा जाता है। सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। हर साल घटने वाले इन 11 दिनों को जोड़ा जाए तो ये एक माह के बराबर होते हैं। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अधिक मास कहते हैं।