कोलकाता : देखा जाए तो ज़्यादातर लोग जिन्हें डिप्रेशन आ घेरता है, वे किसी न किसी पर्सनल प्राब्लम के कारण ही इस रोग के घेरे में आते हैं। डिप्रेशन का रोगी कभी-कभी तो इस कदऱ परेशान हो उठता है कि उसे छोटी से छोटी चीज़ को लेकर गुस्सा आता है। कोफ्त और दूसरों से ईर्ष्या, यहां तक कि उसका खाने-पीने से भी मन उचाट हो उठता है। खाने की तरफ देखने का भी उसका मन नहीं करता। घर में रहने पर उसे अपना कमरा बंद करके सिर्फ सोना ही अच्छा लगता है।ऊपर जिन बातों का जिक्र यहां मैंने किया, वह भी खाने-पीने से कोसों दूर हैं। आइए जानें ऐसे ही कुछ सरल उपाय जिन्हें अपनाने से आपको तनाव के खोल से बाहर निकलने का मौक़ा मिलेगा:-खाने-पीने से संबंधितज़रूरी नहीं कि मानसिक तनाव होने पर खाना छोड़ने से आपके तनाव में कुछ कमी होगी बल्कि इस तरह से तो आप अपने साथ अन्याय कर रहे हैं।
क्या खाएं:
● हमेशा खाने को हल्का गर्म कर के खाएं।
● खाने में अनाज की मात्रा ज़्यादा लें और खाने के बाद मिठाई (थोड़ी सी) खाएं।
● डिप्रेशन के रोगी के लिए सभी तेल गुणकारी होते हैं खासकर जैतून का तेल।
● अगर खाना किसी वक्त न खाने का मन कर रहा हो तो मौसमी फल जैसे संतरा, अंगूर या सेब आपके हित में होंगे।
●दूध या दूध से बनी वस्तुएं जैसे क्रीम, दही, चीज़ आदि का सेवन आपके लिए सर्वोत्तम है।
●अच्छे से पकी हुई सब्जियां जैसे शकरकंद, गाजर, फ्तागोभी भी इस अवस्था में फायदेमंद होते हैं।
क्या न खाएं
●इस रोग में कच्ची सब्जिय़ों का सेवन न करें।
●कटे हुए फल जो गली, नुक्कड़ों में मिलते हैं, उसका सेवन कदापि न करें।
●मांसाहारी चीज़ों का सेवन कदापि न करें।
●कुछ समय से फ्रिज में पड़ी हुई सब्जिय़ों को न खाएं।
●डिप्रेशन में आकर कॉफी, चाय, अल्कोहल का सेवन ज़्यादा न करें।
भक्ति करना भी जरूरी है….
बता दें कि व्यायाम या मेडिटेशनडिप्रेशन से एकदम से बाहर निकलना मुश्किल होता है। ऐसे में किसी भक्ति में अपने को लीन करने से, ईश्वर का ध्यान करने से, योगा करने से, नियमित व्यायाम करने से इस अवस्था से धीरे-धीरे बाहर आया जा सकता है। अपने ध्यान को किसी और तरफ करें ऑफिस में कोई परेशानी होने पर या घर में किसी दुखद घटना होने से हमें कभी-कभी डिप्रेशन का शिकार होना पड़ सकता है। किसी भी स्थिति से अपने को उबार पाना वैसे तो मुश्किल काम है पर अगर वक्त के साथ आप अपने को बाहर निकालने में प्रयास करें, तभी उबर पाएंगेकिसी अप्रिय घटना के होने से दु:ख तो आता है लेकिन उस दुख को झेल कर पार पाने वाला ही वाकई में काबिले तारीफ होता है। अपने दुख को भूल कर दूसरों का दुख बांटने वाले व्यक्ति को जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। गीतों को सुनिए, उन्हें गुनगुनाइए, किताबों को अपना दोस्त बनाइए और फिर दुनिया आपको अलग नजर आएगी। सकारात्मक सोच से जीवन को जीना सीखिएज्यादातर डिप्रेशन रोगी निराशावादी यानी नकारात्मक सोच वाले होते हैं। जीवन में सकारात्मक सोच रखने वाले ही सफल हो पाते हैं। अपने काम से कुछ ऐसा करिए कि आपको लोग अलग ही समझें। अपने को दूसरों से हीन नहीं बल्कि श्रेष्ठ समझिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप घमंड का शिकार हो जाएं।
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