कोलकाता : कॉमर्शियल बिल्डिंगों को ग्रीन करने पर अब विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके तहत इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ने हिडको के साथ मिलकर सम्मेलन का आयोजन किया। इसका उद्देश्य कॉमर्शियल बिल्डिंगों को ग्रीन बिल्डिंग के तौर पर विकसित करने हेतु बढ़ावा देना है। सम्मेलन का आयोजन मुख्य तौर पर न्यूटाउन कोलकाता डेवलपमेंट अथॉरिटी (एनकेडीए) के भूमि आवंटनकारियों के लिये हुआ ताकि आने वाली परियोजनाओं को डिजाइन स्टेज से ही ग्रीन परियोजनाओं के तौर पर विकसित किया जा सके। इसके अलावा मौजूदा परियोजनाओं को उचित रेट्रोफिट के माध्यम से ग्रीन परियोजना में कन्वर्ट करने पर भी बल दिया गया। इस सेशन के उद्घाटन कार्यक्रम में एनकेडीए के पूर्व चेयरमैन व हिडको के पूर्व एमडी देवाशिष सेन के अलावा आईजीबीसी कोलकाता चैप्टर के चेयरमैन सुशील मोहता, को-चेयरमैन विवेक सिंह राठौर, डिप्टी एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एम. आनंद, हिडको के एमडी व शहरी विकास व पालिका मामलों के विभाग के सचिव संजय बंसल मौजूद थे।
उद्घाटन कार्यक्रम काे संबोधित करते हुए सुशील मोहता ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल देश के टॉप 5 राज्यों में है जहां सबसे अधिक ग्रीन बिल्डिंगें हैं। कोलकाता में अधिकतर रेसिडेंशियल परियोजनाएं ही ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन ले रही हैं। हालांकि सभी बिल्डिंग सेक्टरों को ग्रीन बिल्डिंग के तर्ज को अपनाने की आवश्यकता है। इसके अलावा ग्रीन बिल्डिंग का तगमा लेने के बाद उसका रखरखाव भी काफी अहम है। अधिक से अधिक कंपनियों को आईजीबीसी सर्टिफिकेशन प्लानिंग स्टेज में लेना चाहिये। पर्यावरण के नियमों के अनुसार, 20,000 स्क्वायर मीटर से अधिक वाली बड़ी परियोजनाओं को पर्यावरण क्लीयरेंस लेना आवश्यक है। ऐसे में डेवलपर्स के लिये ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन लेना उचित है। बड़े कॉरपोरेट्स जैसे कि आईटीसी, विप्रो, स्टेट बैंक, बंधन बैंक आदि ने निर्णय लिया है कि वे अपनी सभी बिल्डिंग परियोजनाओं को ग्रीन बिल्डिंग के तौर पर विकसित करेंगे।’ इस दौरान हावड़ा स्टेशन के जीएम को ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन दिया गया।
इधर, हिडको के एमडी संजय बंसल ने शहर को हरा-भरा बनाने के लिये आईजीबीसी की पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ग्रीन सर्टिफिकेशन लेने वाली कोल इंडिया पहली बिल्डिंग है। उन्होंने कहा कि अगले 5 से 10 वर्षों में न्यूटाउन में सोलर पैनल लगाये जायेंगे जिस कारण न्यूटाउन कार्बन न्यूट्रल अथवा कार्बन निगेटिव होगा। हिडको के पूर्व एमडी देवाशिष सेन ने कहा, ‘कार्बन बेंच मार्किंग काफी जरूरी है क्योंकि कम कार्बन प्रदान करने वाली कंपनियों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की कॉरपोरेट रेटिंग पर पूरी तरह अलग चैप्टर की आवश्यकता आईजीबीसी को है।