गणतंत्र दिवस के झंडों पर भी आधुनिकता का असर | Sanmarg

गणतंत्र दिवस के झंडों पर भी आधुनिकता का असर

प्लास्टिक के झंडे, वाट्सएप मैसेज ने ले ली जगह
कोलकाता : हमारे देश में राष्ट्रीय ध्वज आन-बान शान का प्रतीक माना जाता है। गणतंत्र दिवस सिर्फ 1 दिन ही शेष रह गया है। इस दौरान मैदान मार्केट तिरंगा झंडा, कैप, हैंड बैंड, हेयरबैंड, तिरंगा बैच आदि सामानों से बाजार सज-धज कर तैयार है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस साल बेचे जा रहे झंडों के प्रकार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। पहले जहां कपड़े के ध्वज होते थे वे अब प्लास्टिक के हो गये। साथ ही लोग अब वाट्सएप के जरिये एक दूसरे को मोबाइल पर मैसेज करने लगे। इस पर आधुनिकता का असर देखने को मिला। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज बेच रहे बादल घोष के कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल कम बिक्री हो रही है। वहीं कुछ लोग दुकानों पर आकर पूछ कर चले जा रहे हैं। प्लास्टिक के झंडे की कीमत कम है वहीं कपड़े की झंडे की कीमत ज्यादा है इसलिए बाजारों में भीड़ कम देखी जा रही है। नजरूल रहेलर ने कहा कि अभी तिरंगाें की ज्यादा मांग नहीं है, जिससे हमलोग काफी निराश हैं। वहीं व्यापार में काफी नुकसानों का सामना करना पड़ रहा है।शेख सुराउद्यीन का कहना है कि इस साल गणतंत्र दिवस से जुड़े सारे सामानाें का दुकान में स्टॉक किया है, लेेकिन बिक्री नहीं हो रही है। 2 से 3 दिनों के बीच सिर्फ 50-60 तिरंगाें की ब्रिकी हुई है। इमरान मलिक ने कहा कि 26 जनवरी की तुलना में गत वर्ष 15 अगस्त को अच्छी बिक्री हुई थी। इस साल लोग 15 अगस्त के दिन खरीदे हुए झंडे से काम चला रहे हैं।
तिरंगे की बिक्री में आई 30 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट
गणतंत्र दिवस काे लेकर लोगों में बहुत ही उत्साह एवं उमंग है। बाजारों में भी इसका असर जोरो-शोरो से दिखने लगा है। जहां एक ओर 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन पर झंडों की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री हुई वहीं दूसरी ओर गणतंत्र दिवस पर तिरंगे झंडे की बिक्री 30 से 40 प्रतिशत तक घट गई है। जब सन्मार्ग की टीम गणतंत्र दिवस की तैयारियां देखने बड़ाबाजार पहुंचीं और वहां के विक्रेताओं से बातचीत कि तो उन्होंने अपनी बिक्री में आई कमी के बारे में बताया, स्थानीय विक्रेता रोहित गुप्ता ने कहा कि पहले के मुकाबले अब बिक्री में गिरावट आई है और बताया कि लोगों द्वारा राम ध्वज पर ज्यादा इन्वेस्टमेंट कर देने कि वजह से लोग राष्ट्र ध्वज कम खरीद रहे हैं। वहीं विक्रेता अशोक सिंह ने बताया कि वह पिछले 60 सालों से झंडे का कारोबार कर रहे हैं। रवि शंकर अग्रवाल ने बताया कि उनकी दुकान में स्वतंत्रता दिवस पर हर साल बिक्री बढ़ ही रही है।

 

Visited 100 times, 1 visit(s) today
शेयर करे
0
0

Leave a Reply

ऊपर