निजी बाइकों को किया जा रहा कॉमर्शियल इस्तेमाल, परिवहन विभाग उठायेगा सख्त कदम
ऐप बाइकों पर कसेगा शिकंजा, देना होगा सरकार को फीस
जल्द निकाली जायेगी गाइडलाइन
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : निजी बाइकों का धड़ल्ले से कॉमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा है जिस कारण राज्य सरकार को राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है। मोटर ह्वीकल एक्ट को नहीं माना जा रहा है। इसके साथ ही यात्री अथवा सामान या फिर भाेजन बाइकों से ले जाने वालों के लिये यह असुरक्षित है और ना ही किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर उन्हें किसी तरह का इंश्योरेंस ही मिलता है। ऐसे में हाल में परिवहन विभाग के मैदान टेंट में एक बैठक की गयी जिसमें गैर ट्रांसपोर्ट 2 ह्वीलर्स के अवैध इस्तेमाल को लेकर चर्चा की गयी। बैठक की अध्यक्षता परिवहन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. सौमित्र मोहन ने की। इसमें एग्रिगेटर, कॉरपोरेट हाउस व ओला, उबर, रैपिडो, इन ड्राइव आदि एजेंसियाें के प्रतिनिधि शामिल थे। इसमें कहा गया कि दिन-ब-दिन ई-कॉमर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म काफी बढ़ गया है और इसके साथ ही निजी बाइकों का कॉमर्शियल के लिये इस्तेमाल भी बढ़ा है। ऐसे में यह तय किया गया कि इन्हें मोटर ह्वीकल एक्ट के दायरे में लाना जरूरी है। इस कारण ऑपरेटरों से कहा गया कि वे नॉन-ट्रांसपोर्ट 2 ह्वीलर्स को ट्रांसपोर्ट कैटेगरी में बदल लें। इसी प्रकार निजी बाइकों का कॉमर्शियल इस्तेमाल जारी रहा तो फिर परिवहन विभाग इसके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठायेगा जिसमें जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
वित्तीय संस्थानों से एनओसी मिलने में होती है मुश्किल
बैठक में विभिन्न संस्थाओं के ऑपरेटरों की ओर से परिवहन विभाग से अपील की गयी कि वित्तीय संस्थानों से एनओसी दिलाने में मदद करें क्योंकि एनओसी मिलने में मुश्किल होने के कारण ट्रांसपोर्ट कैटेगरी में कनवर्जन काफी कठिन हो जाता है। इसके अलावा कनवर्जन के लिये रोजाना कैंप की बात भी कही गयी।
फीस का दिया गया प्रस्ताव
बाइकों के कनवर्जन के लिये कई तरह के प्रस्ताव दिये गये जिसमें फीस लेने का प्रस्ताव भी दिया गया। यह प्रस्तावित किया गया कि एक फीस के एवज में वाहन को कई बार ऑनलाइन/ऑफलाइन प्लेटफॉर्म/हाउस को ऑनबोर्डिंग की अनुमति दी जा सकती है। यह अनुमति एक साल के लिये वैध होनी चाहिये। इसके लिये कुछ प्रतिभागी राजी हो गये और इसके लिये एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर के लिये भी कहा गया।
पूरी चर्चा के बाद तय किया गया कि जल्द परिवहन विभाग इसे लेकर गाइडलाइन जारी करेगा। हालांकि इसमें युवाओं के कमजोर आर्थिक बैकग्राउंड का भी ध्यान रखा जायेगा। गाइडलाइन को लेकर सभी से आगामी 30 सितम्बर तक सुझाव मांगा गया है।
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