रघुबर दास का ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा
रांची/भुवनेश्वर : ओडिशा के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने वाले रघुबर दास का एक बार फिर से राजनीति की पिच पर लौटना तय है। खबर है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सहमति के बाद ही उन्होंने राज्यपाल का पद छोड़ा है। अब पार्टी उनके लिए कौन सी भूमिका तय करेगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। झारखंड के सियासी हलके में भी रघुबर की नई भूमिका को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं।
भाजपा करेगी फैसला : रघुबर
ओडिशा के निवर्तमान राज्यपाल रघुबर दास ने कहा कि भाजपा उनकी भविष्य की भूमिका के बारे में फैसला करेगी। दास ने बुधवार की सुबह पुरी में जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा, मैं एक मजदूर परिवार से आता हूं और 1980 में भाजपा की सदस्यता ली थी। मैंने बूथ स्तरीय समिति के अध्यक्ष से लेकर मंडल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है। मुझे झारखंड के लोगों की सेवा करने का भी अवसर मिला। इसलिए, हमारी पार्टी मेरी भविष्य की भूमिका के बारे में फैसला करेगी।
दास ने कहा कि ओडिशा में उनका अनुभव सुखद रहा और यह उनके लिए यादगार रहेगा। ओडिया लोगों के जुनून को सलाम करते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि 2036 में जब राज्य अपने गठन के 100 साल पूरे करेगा, तब ओडिशा एक विकसित राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ओडिशा में डबल इंजन की सरकार गरीबों के विकास के लिए काम कर रही है। बता दें, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को मिजोरम के मौजूदा राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति को ओडिशा का नया राज्यपाल नियुक्त किया। राष्ट्रपति ने ओडिशा के राज्यपाल पद से दास का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। रघुबर दास को 18 अक्टूबर 2023 को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
झारखंड में नहीं पड़ेगा कोई असर : यादव
रघुबर दास के राज्यपाल पद से इस्तीफे और उनकी नई संभावित भूमिका के बारे में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, यह अच्छी बात है। इसे सामान्य तौर पर लिया जाना चाहिए। ऐसा होता रहता है। वहीं झारखंड के श्रम सह उद्योग मंत्री संजय यादव ने कहा कि रघुबर दास ने इस्तीफा किस कारण से दिया, यह तो उनसे ही पूछे। लेकिन उनके झारखंड की राजनीती में फिर से सक्रिय होने से कुछ होने वाला नहीं। इसका झारखंड में कोई असर नहीं पड़ने वाला हैं। यादव ने कहा कि झारखंड में हेमंत हैं तो हिम्मत है। उनके नेतृत्व में इंडी गठबंधन बेहतर काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि हाल में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से ही पार्टी के भीतर राज्य में सशक्त नेतृत्व के विकल्पों पर मंथन चल रहा है। कयास लगाया जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व संभालने के लिए रघुवर दास को एक बार फिर से आगे किया जा सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी वह संगठन में सक्रिय रहे हैं। अब राजनीति में उनकी नई भूमिका को लेकर एक चर्चा यह भी है कि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बड़ा दायित्व दे सकती है। भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और उनकी जगह नये चेहरे को लेकर भी पार्टी के भीतर मंथन का सिलसिला चल रहा है। सूत्रों की माने तो, इस पद के लिए रघुवर दास के भी नाम पर विचार हो सकता है।