विश्व बाल श्रम निषेध दिवस: आखिर क्या है इसका महत्त्व और इतिहास??

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस: आखिर क्या है इसका महत्त्व और इतिहास??
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नई दिल्ली: हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि इसका उद्देश्य बाल श्रम को खत्म करने के लिए बढ़ते वैश्विक प्रयास को सक्रिय करना है। संयुक्त राष्ट्र का मानना ​​है कि मूल कारणों को संबोधित करके और सामाजिक न्याय और बाल श्रम के बीच संबंध को समझकर इसे खत्म किया जा सकता है। बच्चों को अच्छे माहौल में रहने उनके स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। बच्चों को जीवित रहने के लिए शारीरिक श्रम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें शारीरिक और भावनात्मक नुकसान होता है। दुर्भाग्य से, कई गरीब देशों में बाल श्रम और दुर्व्यवहार व्यापक रूप से फैले हुए हैं।

इसे मनाने को उद्देश्य…

बता दें क‌ि विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक आंदोलन को आगे बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र बाल श्रम के मूल कारणों को संबोधित करने और सामाजिक न्याय और बाल श्रम उन्मूलन के बीच संबंध को समझने के महत्व पर जोर देता है।

कैसे हुई इस दिन की शुरूआत?
बता दें कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ILO ने 12 जून, 2002 को अपने जिनेवा मुख्यालय में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत की। यह दिन बाल श्रम को समाप्त करने के वैश्विक आह्वान को बढ़ावा देता है। बताते चलें क‌ि 1987 से, भारत की केंद्र सरकार बाल रोजगार पर एक राष्ट्रीय नीति लागू कर रही है। यह नीति उन बच्चों और किशोरों के पुनर्वास पर केंद्रित है जिन्हें रोजगार में धकेला गया है और प्रभावित परिवारों की आर्थिक संभावनाओं का समर्थन करके गरीबी के मूल कारणों को संबोधित करती है।

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