नई दिल्ली: केंद्र में मोदी सरकार का गठन होने जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी सरकार में मंत्रियों की संख्या भी नियम के आधार पर तय होती है। नियम के अनुसार कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या कम तो हो सकती है लेकिन ज्यादा नहीं। ऐसे ही मंत्री भी तीन तरह से नियुक्त होते हैं.. कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। आइये समझते हैं मंत्रालय के गठन का तरीका
कैबिनेट में अधिकतम कितने मंत्री हो सकते हैं?
मोदी सरकार के गठन की घोषणा के साथ ही भाजपा और एनडीए में शामिल दल में मंत्री पद पाने की होड़ सी मची हुई है, लेकिन यह संभव नहीं है कि सभी की मंत्री पद मिलने की इच्छा को पूरा किया जा सके। नियम के अनुसार लोकसभा सीटों के अनुपात में मंत्रियों की संख्या तय होती है। 18वीं लोकसभा के लिए 543 सीटों पर चुनाव हुआ। नियम के हिसाब से चुने गए सदस्यों की संख्या का 15 फीसद ही मंत्रियों का संख्याबल हो सकता है। इस हिसाब से मोदी सरकार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 81-82 हो सकती है।
भारत में मंत्रिमंडल का गठन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74, 75 और 77 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान है। अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति की सलाह पर प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद को अंतिम रूप देते हैं। मंत्रिमंडल के मुखिया की तौर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सलाह देते हैं कि किस जीते हुए उम्मीदवार को मंत्री बनाया जाए। प्रधानमंत्री और मंत्री पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति द्वारा शपथ लेते हैं।
मंत्रिमंडल के सदस्य
प्रधानमंत्री के अलावा मंत्रिमंडल में विभिन्न रैंक के मंत्री होते हैं जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शामिल हैं।
कैबिनेट मंत्री: ये मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं और इनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार होता है।
राज्य मंत्री: ये कैबिनेट मंत्रियों के सहायक होते हैं और इनके पास कम महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार होता है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): ये राज्य मंत्रियों के समान होते हैं, लेकिन इनके पास स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार होता है और वे सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं।
मंत्रिमंडल की जिम्मेदारियां
मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है। यह सरकार की नीतियां बनाता है और उनका क्रियान्वयन करता है। यह कानूनों का प्रस्ताव करता है और संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करता है। यह देश के प्रशासन का प्रबंधन करता है और राष्ट्रपति को सलाह देता है।
मंत्रिमंडल का कार्यकाल
मंत्रिमंडल का कार्यकाल आम तौर पर लोकसभा के पांच वर्ष के कार्यकाल के बराबर होता है। यदि लोकसभा भंग हो जाती है, तो मंत्रिमंडल भी भंग हो जाता है। प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत बनाए रखने में विफल होने पर भी राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किए जा सकते हैं।