अयोध्या : अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर 2025 तक पूरा बनने का अनुमान है। गर्भग्रह में रामलला विराजमान हो चुके हैं। यहां उत्सव मूर्ति (पुरानी मूर्ति) और अचल मूर्ति (नई मूर्ति) को स्थापित किया गया है। मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद से श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। भक्त अपने प्रिय श्रीराम के दर्शन करने को बेताब हैं। हाल ही में रामलला के भोग को लेकर नई जानकारी सामने आई है।
रुचि के अनुसार भोग लगाया जाता है
रामलला की 5 वर्ष के बालक रूप की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में विराजित की गई है। इसके चलते बालक राम का ख्याल भी उनकी उम्र को देखते हुए ही वात्सल्य रूप में रखा जा रहा है। उदाहरण के लिए बालक राम को रोजाना उनकी रुचि के अनुसार भोग लगाया जाता है। रामलला को भोग में मालपुआ, खीर, रसमलाई जैसी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। वहीं ठंड के मौसम को देखते हुए रामलला को अदरक का हलवा भी भोग में अर्पित किया गया।
हर घंटे फल और दूध का भोग भी लगाया जाता है
रामलला को सुबह, दोपहर और रात के मुख्य भोग के अलावा हर घंटे फल और दूध का भोग भी लगाया जाता है। इस दौरान कुछ देर के लिए कपाट भी बंद किए जाते हैं, ताकि रामलला सहज हो सकें। खास मौकों पर रामलला को 56 भोग लगाए जाते हैं। अब इसमें एक बदलाव किए जाने की जानकारी सामने आई है। इसके तहत रामलला के 56 भोग में अब कंदमूल-बेर जैसे आदिवासी भोजन भी शामिल किए जाएंगे। प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान जंगली फल, बेर आदि बहुत प्रेम से खाए थे। प्रभु राम को आदिवासी भोजन भी बहुत प्रिय है। शबरी के जूठे बेर भी प्रेम से खाने की कथा तो खासी मशहूर है। इसे देखते हुए अब रामलला के भोग में इन चीजों को शामिल किया जाएगा।