नई दिल्ली: कोरोना वायरस से उबरे हुए अभी कुछ ही समय बीता था कि चीन ने फिर से टेंशन बढ़ा दी है। चीन में फिर से एक नई बीमारी ने दस्तक दी है। जिसे लेकर WHO काफी सतर्क नजर आ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उत्तरी चीन में निमोनिया के प्रकोप के बारे में बीजिंग से अधिक जानकारी मांगी है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट से इसकी जानकारी मिली है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ ने सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि और बच्चों में निमोनिया के समूहों की रिपोर्ट पर विस्तृत जानकारी के लिए आधिकारिक अनुरोध किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों से दिसंबर महीने में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में भारी वृद्धि हुई है, वह भी उस समय जब यहां पर जीरो-कोविड नीति सख्ती से लागू थी। चीन ने जीरो-कोविड नीति को पिछले साल दिसंबर में समाप्त कर दिया था।
सांस संबंधी बीमारियों में तेजी
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सांस संबंधी बीमारियों की घटनाओं में तेजी आई है। इसका प्रमुख कारण रहा है, कोविड-19 को रोकने के उपायों में ढिलाई देना।
कोविड की रोकथाम में हुई थी लापरवाही
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोविड की रोकथाम में ढिलाई देने की वजह से न केवल कोविड से संबंधित बीमारियों में इजाफा हुआ बल्कि इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया (एक सामान्य जीवाणु संक्रमण जो आम तौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है), और श्वसन सिंकाइटियल वायरस (RSV) जैसी बीमारियों में भी इजाफा हुआ है।