नई दिल्ली : चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो अपने पहले सूर्य मिशन को लॉन्च करने वाला है। इसरो 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से आदित्य एल-1 मिशन को लॉन्च करेगा। इसरो ने बताया कि रॉकेट लॉन्च का रिहर्सल और मिशन से जुड़े सभी यंत्रों का सफल परीक्षण कर लिया गया है। बता दें कि आदित्य एल-1 को PSLV-XL C57 रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। मिशन के लॉन्च से पहले इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल-1 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी जारी है। मिशन 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया जाएगा। इसरो आदित्य एल-1 की मदद से सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 को सूरज और पृथ्वी के बीच में लैरेंज प्वाइंट-1 में रखा जाएगा। पृथ्वी से एल-1 प्वाइंट की दूरी करीब 15 लाख किमी है।
रिहर्सल हो चुकी है पूरी
इसरो प्रमुख ने आगे बताया कि आदित्य एल-1 मिशन सूर्य के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए इसरो का पहला डेडिकेटेड अंतरिक्ष मिशन है। लॉन्च के लिए तैयारी अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। लॉन्च के लिए रिहर्सल भी पूरी हो चुकी है।
क्या है सूर्ययान मिशन?
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
The 23-hour 40-minute countdown leading to the launch at 11:50 Hrs. IST on September 2, 2023, has commended today at 12:10 Hrs.The launch can be watched LIVE
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इसरो अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 के तहत सूरज से निकलने वाली किरणों का जांच करेगा। आदित्य एल-1 को सूरज और पृथ्वी के बीच में लैरेंज प्वाइंट-1 पर रखा जाएगा। आदित्य एल-1 में लगे 7 पेलोड्स सूरज से निकलने वाली विभिन्न किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी भी करेगा। इसरो इस मिशन की मदद से सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास कर रहा हैं। आदित्य एल-1 सौर हवाओं के विभाजन और तापमान का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है इसका भी पता लगाएगा।
जल कर खाक हो सकता है आदित्य एल-1
आदित्य एल-1 मिशन के सामने सबसे पहली कठिन समस्या है कि वह धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर निकलना। क्योंकि पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति से अपने आस पास मौजूद हर चीज को अपने तरफ खींचती है। इसके बाद अगला बड़ा पड़ाव है क्रूज फेज और हैलो फेज। अगर इन दोनों फेज में आदित्य एल-1 की गति नियंत्रित नहीं हुई तो आदित्य एल-1 सीधा सूरज की तरफ चला जाएगा और सूरज के तप में जलकर खाक हो जाएगा।
आदित्य एल-1 को कहा पहुचायेगा रॉकेट?
इसरो द्वारा बनाया गया स्वदेशी रॉकेट PSLV XL C-57 आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। यह रॉकेट आदित्य एल-1 को पृथवी के लोअर ऑर्बिट में पहुचायेगा। इसके बाद आदित्य एल-1 चार से पांच मेन्यूवर करके सीधे धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर चला जाएगा। इसके बाद आदित्य एल-1 सूरज और पृथ्वी के बीच स्थित एल-1 प्वाइंट तक पहुंचेगा। आदित्य एल-1 को अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा।
मात्र 1 फीसदी दूरी तय करेगा आदित्य एल-1
धरती और सूरज के बीच में कुल पांच ऐसे प्वाइंट चिन्हित किए गए है जहां पर स्पेस क्राफ्ट को रखकर सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया जाता हैं। इस प्वाइंट को लैरेंज बिंदु भी कहते हैं। बता दें कि सूरज से सबसे नजदीक एल-1 प्वाइंट है जहा पर भारत का सूर्ययान जा रहा है। धरती से एल-1 प्वाइंट की दूरी तकरीबन 15 लाख किलोमीटर हैं। वहीं सूरज से एल-1 की दूरी करीब 14 करोड़ 85 लाख किमी हैं। लैरेंज प्वाइंट 1 सूरज और धरती की कुल दूरी का मात्र एक फीसदी ही है।