नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को तीन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ ट्रेनें मेरठ-लखनऊ, चैन्नई-नागरकोइल, मदुरै-बेंगलुरू को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इसके साथ ही देश मे चलने वाली ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ ट्रेनों की संख्या 105 हो जायेगी। हालांकि सभी ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ की अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही हैं लेकिन मेरठ-लखनऊ ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ की अधिकतम रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। मेरठ-लखनऊ की 459 किलोमीटर की दूरी ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ सात घंटे 15 मिनट से अधिक समय में पूरी करेगी। इस ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ की औसत रफ्तार 63.29 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी रेलवे की मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें 55-60 किमी प्रति घंटा की औसत रफ्तार पर चलती हैं।
क्या कहना है रेलवे अधिकारियों का?
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ के यात्रियों से प्रीमियम ट्रेनों जैसे राजधानी एक्सप्रेस, शताबदी एक्सप्रेस, दुरंतों का किराया लिया जायेगा। दिल्ली-लखनऊ शताब्दी 511 किलोमीटर की दूरी छह घंटे 45 मिनट में तय करती है। इस प्रकार शताब्दी की औसत रफ्तार लगभग 80 किलोमीट प्रति घंटा है और किराया ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ से कम है। पहली सिंतबर से नियमित रूप से मेरठ-लखनऊ के बीच चलने वाली ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ में चेयरकार का किराया 1245 रुपये व एक्जीक्यूटिव कार का किराया 2400 रुपये हो सकता है।
अधिकारी का कहना है कि देश में किसी भी रेलमार्ग के सेक्शन स्पीड को बढ़ाने के लिए कड़े मापदंड हैं। इसमें सबसे पहले पटरी के नीचे की जमीन की स्थिरता अहम होती है। इसके अलावा पटरियों की मजबूती, रेलमार्ग पर पड़ने वाले पुराने छोटे-बड़े पुल, तीव्र व हल्के मोड, रेलवे क्रासिंग, ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम आदि में सुधार करने के पश्चात कई ट्रॉयल पर सेक्शन स्पीड बढ़ाने का प्रावधान है।