सीबीआई के सामने है सवाल, आखिर क्या हुआ था उस रात | Sanmarg

सीबीआई के सामने है सवाल, आखिर क्या हुआ था उस रात

कोलकाता : सीबीआई की टीम को कई सवालों के जवाब चाहिए लेकिन उसमें सबसे पहले सीबीआई की टीम को यह जानना है कि उस रात आखिर हुआ क्या था? इस सवाल के पीछे कई और सवालों के जवाब सीबीआई को मिल जाएंगे। सूत्रों की माने तो जैसे कोलकाता पुलिस ने मामले में कार्रवाई की और एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया, उसे जूनियर डॉक्टरोें की टीम या पीड़ित परिवार मानने को तैयार ही नहीं है। उस दिन से ​जुड़े कई सवालों के जवाब सीबीआई की टीम को ढूंढ निकालने है। इनमें से एक सवाल यह है कि क्या ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और कत्ल का आरोपी संजय राय पीछा कर रहा था। इसके पीछे किसी और का हाथ है? मामला कुछ और था और क्या इसे घुमा दिया गया ?

सीसीटीवी और डिजिटल दस्तावेज की हो रही है जांच

​जहां पर यह घटना हुई वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था लेकिन अन्य कैमरों की मदद से कोलकाता पुलिस ने अभियुक्त को पकड़ा था। अब उन्हीं सीसीटीवी की मदद से सीबीआई की टीम आगे की छानबीन को बढ़ाना चाहती है। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल कर देख रही है, ताकि ये पता चल सके कि क्या वाकई संजय राय घटना वाले दिन अचानक पहुंचा था या सोची समझी साजिश के तहत वह वहां गया था।

151 ग्राम सीमन की स्टोरी पर भी होगी छानबीन

भले ही पुलिस इसे अफवाह बता रही हो लेकिन सीबीआई की टीम पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फारेंसिक जांच पर भी है। असल में ऐसी खबरें हैं कि पीड़ित डॉक्टर की लाश से फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को 151 ग्राम सीमन मिला था, जो यह ईशारा करता है कि इस वारदात में एक से ज्यादा लोग हो सकते हैं। इस बारे में भी सीबीआई की टीम उक्त डॉक्टर से पूछताछ करना चाहती है जिसने यह छानबीन की थी।

आखिर अस्पताल प्रबंधन ने क्यों इसे पहले बताया था सुसाइड का मामला

गत गुरुवार को सीबीआई ने चेस्ट मेडिसीन डिपार्टमेंट के एचओ डॉ. अरुणाभ दत्ता चौधरी, अस्पताल के पूर्व अधिकारी डॉ. संजय वशिष्ठ और फॉरेंसिक मेडिसीन की डॉ. पॉली समद्दार से पूछताछ की थी। जाहिर है सीबीआई इस मामले के हरेक पहलू को खंगाल कर देखना चाहती थी। सवाल अस्पताल प्रशासन पर भी है और पुलिस पर भी। आखिर शुरुआत के घंटों में इस मामले को दबाने की कोशिश क्यों की गयी। इसे सुसाइड क्यों बताया गया। इसके लिए कौन दबाव बना रहा था। पुलिस ने इस मामले की जांच अनैचुरल डेथ मान कर शुरू की, ऐसा क्यों किया गया ? सवाल ये भी है कि क्या वारदात के बाद जानबूझ कर इस मामले में सबूत मिटाने की कोशिश हुई ? छानबीन की जिम्मेदारी मिलने के बाद आखिर अस्पताल में कौन घुसकर सबूत मिटाने की कोशिश कर रहे थे ?

सबूतों को मिटाने की साजिश है तो आखिर किसके कहने पर?

एक डॉक्टर ने बताया कि जूनियर डाक्टर के शरीर पर मिले जख्मों व जिस फोर्स के साथ जूनियर डाक्टर पर हमला किया गया वह किसी एक काम नहीं लगता है।

आखिर किसको बचाया जा रहा है और क्यों बचाया जा रहा है। इस बीच केस सीबीआई को सौंपे जाने के बाद अब आंदोलन कर रहे डाक्टरों ने ये इलजाम लगाया है कि कोलकाता पुलिस ने जरूरी सबूतों को मिटाने की साजिश रची थी।

क्यों मौका-ए-वारदात को सील नहीं किया गया

आरजी कर अस्पताल की तीसरी मंजिल पर वो सेमिनार हॉल है, जहां नौ अगस्त की सुबह चेस्ट डिपार्टमेंट की ट्रेनी जूनियर डॉक्टर की लाश मिली थी जो तस्वीरें सामने आईं हैं, उसमें सेमिनार हॉल में गद्दे, टेबल, बेंच, मशीन के साथ-साथ लकड़ी और प्लास्टिक की लाल कुर्सियां भी उन तस्वीरों में देखी जा सकती है। आखिर कैसे मौका ए वारदात को सील ​नहीं किया गया।

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