Paush Amavasya 2024: गुरुवार को साल की पहली अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि | Sanmarg

Paush Amavasya 2024: गुरुवार को साल की पहली अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

कोलकाता: हिंदू मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहते हैं। इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई पड़ता है। पितरों के लिए पितृ पक्ष और अमावस्या दोनों ही तिथि समर्पित होती हैं। कहते हैं कि पौष माह को छोटे श्राद्ध का महीना कहा जाता है इसलिए पौष मास की अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस साल की पहली पौष अमावस्या के बारे में आपको बताते हैं।

कब है 2024 में पौष अमावस्या ?

साल 2024  की पहली अमावस्या गुरुवार(11 जनवरी 2024) को है। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 10 जनवरी 2024 बुधवार रात 8:10 पर शुरू होकर 11 जनवरी गुरुवार को शाम 5:26 पर खत्म होगी। स्नान व दान-दक्षिणा का मुहूर्त सुबह 5:57 से लेकर सुबह 6:21 तक रहेगा। पितरों के तर्पण के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 से दोपहर 12:50 तक रहेगा।

क्या है पौष अमावस्या का महत्व ?

पौष माह में अमावस्या पड़ने से यह शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत या उपवास रखने से और पूजा-अर्चना करने से फलों की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजा पाठ और भजन-कीर्तन करना चाहिए। अमावस्या के दिन निर्धनों व जरूतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों पर आए संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौष अमावस्या विधिशिवलिंग का अभिषेक पौष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ माना जाता है। सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर अर्घ्य दें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और उपवास करें। जरूतमंदों को दान-दक्षिणा दें और शाम के समय पीपल के वृक्ष में दीपक जरूर जलाकर रखें। इस दिन तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
पौष अमावस्या पर क्यों किया जाता है स्नान-दान?अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन स्नान करने से कष्ट और संकटों से मुक्ति मिलती है और साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है और पितृ प्रसन्न होते हैं। इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितरों द्वारा किए गए पापों का नाश होता है।

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