नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लि. को ग्राहक खातों में जमा या ‘टॉप-अप’ स्वीकार करने से रोकने के लिए हाल में की गयी कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट साझा करने को कहा है। मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत नियमों के उल्लंघन का जांच करने वाली एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय और वित्तीय आसूचना इकाई पहले से ही धन शोधन रोधक कानून के प्रावधानों के तहत भुगतान मंचों से संबंधित मामलों की जांच कर रही हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई के बाद पेटीएम ने कहा है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसकी मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस, संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विजय शेखर शर्मा तथा पेटीएम पेमेंट्स बैंक लि के खिलाफ मनी लांड्रिंग या विदेशी विनिमय नियमों के उल्लंघन को लेकर जांच नहीं की जा रही है।
इसलिए मांगी रिपोर्टः एक अधिकारी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने आरबीआई से अपनी नवीनतम रिपोर्ट साझा करने को कहा है ताकि वह विश्लेषण कर सके कि क्या उसे पीपीबीएल के खिलाफ जांच शुरू करने की जरूरत है। एजेंसी चीन की कंपनियों के नियंत्रण वाले फोन एप्लिकेशन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के हिस्से के रूप में पेटीएम और अन्य ऑनलाइन भुगतान वॉलेट की जांच कर रही है। ये वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के मंचों पर बनाई गई व्यापारी आईडी का उपयोग करके मनी लांड्रिंग गतिविधियों में कथित रूप से शामिल थीं। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। एजेंसी नई जांच शुरू कर सकती है या पेटीएम से जुड़ी चल रही जांच में नए आरोप शामिल कर सकती है। एफआईयू ने भी यह विश्लेषण करने के लिए आरबीआई से रिपोर्ट मांगी है कि क्या पेटीएम या पीपीबीएल ने मनी लांड्रिंग रोधक कानून की धारा 13 के तहत ‘रिपोर्टिंग इकाई’ के रूप में आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया है। इस धारा के तहत एक वित्तीय संस्थान, बैंक या मध्यस्थ को अपने ग्राहकों की पहचान को प्रमाणित करने वाले सभी लेनदेन और दस्तावेजों के रिकॉर्ड को बनाए रखना होता है।