गंगा के दूषित जल से बनाया जाता है शरबत व तैयार होते हैं भोजन? | Sanmarg

गंगा के दूषित जल से बनाया जाता है शरबत व तैयार होते हैं भोजन?

10 रु. प्रति ड्रम बिक रहा है गंगाजल

कोलकाता पार्षद ने भी लगाये गंभीर आरोप

सन्मार्ग संवाददाता

हावड़ा : यह वस्तुतः ‘जानबूझकर जहर पीने’ जैसा है! राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की केंद्रीय प्रयोगशाला की रिपोर्ट के मुताबिक, हावड़ा-कोलकाता से बहने वाली गंगा और हुगली नदी का पानी प्रदूषण के सभी स्तरों को पार कर गया है। 100 एमएल पानी में 46 हजार कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उस पानी को पीने से त्वचा और पेट की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और मौत भी हो सकती है। हालांकि आरोप है कि सड़क पर बिकने वाला ठंडा शरबत गंगा का जहरीला पानी लेकर बनाया जाता है। आरोप यह भी है कि उसी गंगा के दूषित पानी में फिटकरी मिलाकर लोगों काे पीने के लिए दिया जाता है। पूर्वी भारत के प्रवेश द्वार में से एक हावड़ा स्टेशन के पास कुछ होटलों में यह काम चल रहा है, हालांकि प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है। जिलाधिकारी के निर्देश पर एक साल पहले बनाया गया नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग का खाद्य सुरक्षा टास्क फोर्स व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय है। हजारों लोग जाने-अनजाने में जहर पी रहे हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्त भी इस मामले को लेकर चिंतित हैं। दरअसल, हावड़ा-कोलकाता की गंगा नाले की तरह हो गई है।

पार्षद की ओर से कई बार की गयी शिकायतें : हावड़ा स्टेशन के साथ ही कोलकाता के होटलों में भी गंगा जल का दूषित पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। कोलकाता के वार्ड नंबर 45 के पार्षद संतोष पाठक ने तो साफ आरोप लगाते हुए कहा कि शहर के बीचोबीच खास डलहौजी में, फुटपाथ के होटलों में गंगा का जहरीला पानी पीने को दिया जाता है। उस इलाके में रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है। शुद्ध पेयजल के अभाव में रेहड़ी-पटरी वाले गंगाजल में फिटकरी मिलाकर पीने के पानी के रूप में उपयोग करते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए पार्षद द्वारा नगर निगम के जल आपूर्ति विभाग से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि इस संदर्भ में निगम एक अधिकारी ने कहा कि हम नियमित रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाते हैं कि कोई भी फुटपाथ के होटलों में गंगा जल का उपयोग न करे।

10 रु. प्रति ड्रम बिक रहा है गंगाजल : हावड़ा स्टेशन परिसर के दौरे में कार्यकर्ताओं ने अपने कंधों पर प्लास्टिक के ड्रमों में गंगा जल भरकर ट्रॉलियों पर ले जाते देखा। होटल मालिक उस पानी को स्टेशन परिसर में शरबत बेचने वालों से 10 रुपये (प्रति ड्रम) के हिसाब से खरीद रहे हैं। उसके बाद कोई फिटकरी से गंदे पानी को साफ कर रहा है तो कोई ऐसा नहीं कर रहा है। अगर आप हावड़ा स्टेशन के पास स्थित चांदमारी घाट पर जाएंगे तो पाएंगे कि विभिन्न होटलों से निकलने वाले पाइप सीधे गंगा के पानी में पहुंच गए हैं। होटल में लगे पंप को चलाकर बड़े-बड़े ड्रमों में पानी भरा जा रहा है।

पेयजल की है कमी : थाना क्षेत्र के ऐसे ही एक होटल के मालिक का कहना है, ‘यहां पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बाहर से पानी लाने में काफी खर्च आता है। मजबूरी में गंगा जल का उपयोग करना पड़ रहा है।

क्या कहना है अधिकारी का : इस बारे में पूछे जाने पर जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी निताई मंडल ने कहा कि मुझे वास्तव में नहीं पता था कि यह घटना घट रही है। ऐसा करने वाले लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम जल्द ही फूड सेफ्टी टीम को कार्रवाई के लिए भेजेंगे।

 

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