कोलकाता : महानगर में आलू के बढ़ते दामों से लोगों को भारी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आलू की कीमतों को 30 रुपये प्रति किलो के नीचे बनाए रखने का निर्देश दिया था, लेकिन बाजारों में आलू 34 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं। इसके कारण राज्य सरकार ने आलू की बढ़ी हुई कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गंभीर कदम उठाए हैं। राज्य ने पड़ोसी राज्यों को आलू भेजने पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जहां व्यापारी अधिक मुनाफा कमा रहे थे। गुरुवार से पश्चिम बंगाल पुलिस ने राज्य की सीमा पर निगरानी कड़ी कर दी और आलू लदे ट्रकों को रोकने के लिए चेकपॉइंट्स पर जांच तेज कर दी। पुलिस द्वारा पश्चिम बंगाल-झारखंड सीमा पर आलू के ट्रकों को रोके जाने की घटनाओं से स्पष्ट हो गया कि राज्य सरकार की ओर से आलू के परिवहन को रोकने की कोशिश की जा रही है।
एक ट्रक ड्राइवर ने बताया कि वह आलू लेकर धनबाद जा रहा था, लेकिन पुलिस के कारण उनका वाहन कई घंटे से रोका हुआ है। कोल्ड स्टोरेज में आलू का थोक मूल्य 26 रुपये प्रति किलो तक गिर चुका है, लेकिन बिचौलियों की मौजूदगी के कारण खुदरा बाजारों में कीमतें अब भी ऊंची बनी हुई हैं। कृषि विपणन अधिकारी का मानना है कि बिचौलियों द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी की जा रही है, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ रहा है। हालांकि व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य में आलू की उपलब्धता बढ़ने से आने वाले दिनों में कीमतों में कमी आ सकती है। आलू के कोल्ड स्टोरेज मालिकों के प्रवक्ता पतित पावन दे ने बताया कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 475 कोल्ड स्टोरेज में लगभग 6 लाख टन आलू मौजूद हैं, जो दिसंबर तक राज्य की घरेलू मांग को पूरी तरह से पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। राज्य सरकार द्वारा आलू के बाहर भेजने पर कड़ी निगरानी स्वागत योग्य कदम है।
रिया सिंह