बंगाल में अब तीन साल की पढ़ाई कर आप बन जायेंगे डॉक्टर, जानें कैसे

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कोलकाता : कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में सबसे ज्यादा दबाव डॉक्टर और चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों ने झेला। यही नहीं इस दौरान यह बात भी सामने आई कि देश में चिकित्सा के पेशे से जुड़े हुए पेशवरों की कितनी कमी है। अब इस दबाव को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने क्लासरूम और प्रायोगिक प्रशिक्षण के जरिए 3 साल में मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स के लिए संभावनाएं तलाशना शुरू कर दी हैं। इसके लिए एक 14 सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी का सामना करने के लिए मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया है।

समिति में शामिल होंगे देश के वरिष्ठ चिकित्सक
समिति में वरिष्ठ चिकित्सक, भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (डब्ल्यूबीएमसी) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरी के लिए खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचे इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक विशेषज्ञों की समिति का गठन किया है। ताकि तीन साल में क्लासरूम और प्रायोगिक प्रशिक्षण के जरिए स्वास्थ्य क्षेत्र में पेशवरों के तैयार किए जाने की संभावनाओं को तलाशा जा सके। समिति को 30 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी।

डिप्लोमा पर उठ रहे हैं सवाल
एमबीबीएस के समानांतर चलने वाले इस तीन वर्षीय मेडिसिन डिप्लोमा को लेकर ममता बनर्जी का कहना है कि वह इस संभावनाओं को तलाशना चाहते हैं कि क्या इंजीनियरिंग की तर्ज पर मेडिसिन में भी डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जा सकता है। हालांकि इस फैसले को लेकर अभी से ही सवाल उठने लगे हैं कि इस योजना के तहत तैयार होने वाले पेशेवरों की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में उन स्वास्थ्य केंद्रों में की जाएगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह से सरकार ग्रामीणों की जिंदगी को दांव पर लगा रही है।

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