पुणे: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में उल्लेखनीय बदलाव आया है तथा दुनिया में शक्ति एवं प्रभाव के कई नए केंद्र उभरे हैं। जयशंकर ने पुणे में ‘सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड विश्वविद्यालय) के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कोई भी देश, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, सभी मुद्दों पर अपनी इच्छा नहीं थोप सकता।’’
देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा
उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, इसका यह भी मतलब है कि अब देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा है जो अपने आप में एक संतुलन पैदा करती है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभरे हैं।’’ जयशंकर ने कहा कि शक्ति की अवधारणा के भी कई आयाम हैं- जैसे व्यापार, ऊर्जा, सैन्य क्षमता, संसाधन, प्रौद्योगिकी एवं प्रतिभा और इसी कारण यह बेहद जटिल है।
वैश्विक शक्तियां अब सर्वव्यापी होने में सक्षम नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘यह समझना भी जरूरी है कि वैश्विक शक्तियां अब सर्वव्यापी होने में सक्षम नहीं रहीं।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्वीकरण ने हमारे सोचने और काम करने के तरीके को मूल रूप से बदल दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को यदि प्रौद्योगिकी के साथ कदम मिलाकर चलना है तो उसे व्यापक और आधुनिक विनिर्माण क्षमता विकसित करनी होगी।’’