नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन ने बृहस्पतिवार को नियम 267 के दायरे को स्पष्ट करते हुए कहा कि इस प्रावधान के तहत केवल उन विषयों पर ही चर्चा हो सकती है, जो दिन के एजेंडे में पहले से शामिल हों लेकिन इससे इतर किसी असंबद्ध विषय पर चर्चा की अनुमति नहीं है।
सत्र दर सत्र विपक्षी दलों के सदस्य नियम 267 के अंतर्गत नोटिस देते रहे हैं, जिनमें वे दिन की कार्यसूची के अनुसार निर्धारित कामकाज को स्थगित कर अपने अनुसार महत्वपूर्ण समझे जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हैं। हालांकि, बीते दो दशकों में इनमें से किसी भी नोटिस को स्वीकार नहीं किया गया है।
भाजपा सरकार हमारे विषय पर चर्चा की अनुमति नहीं देती : विपक्ष
पिछले कुछ साल में ऐसे नोटिस की संख्या बढ़ी है क्योंकि विपक्ष के सांसदों का आरोप है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार उनकी ओर से उठाए जाने वाले विषयों पर बहस की अनुमति नहीं देती, भले ही वह अल्पकालिक चर्चा क्यों न हो।
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में भी नियम 267 के तहत अनेक नोटिस दिए गए, लेकिन राधाकृष्णन ने सभी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे नियम के अनुरूप नहीं हैं। बुधवार को उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस प्रावधान का दुरुपयोग कर दैनिक कार्यसूची को निलंबित कराने के लिए नियमित रूप से नोटिस दिए जा रहे हैं। सभापति ने कहा कि अब लगभग प्रतिदिन ऐसे नोटिस दिए जा रहे हैं, जबकि नियम की मंशा व्यक्तिगत सदस्यों की इच्छा पर गैर-सूचीबद्ध विषय उठाने की नहीं है।
नियम 267 की तुलना लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव से नहीं
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यसभा में नियम 267 की तुलना लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव से नहीं की जा सकती, जिसे संविधान के अनुच्छेद 75(3) के तहत अनुमति है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा सदस्यों के लिए नियम 267 के तहत किसी भी प्रकार का स्थगन प्रस्ताव देने का कोई संवैधानिक या प्रक्रियात्मक प्रावधान नहीं है।’’
सभापति ने कहा कि इस नियम के तहत केवल दिन की सूचीबद्ध कार्यवाही से जुड़े विषयों पर ही कामकाज का निलंबन संभव है और नोटिस में निलंबित किए जाने वाले नियम का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कार्यसूची से बाहर के विषयों पर चर्चा की मांग करने वाले नोटिस ‘‘अवैध’’ हैं।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर तत्काल चर्चा हेतु 267 नोटिस : मल्लिकार्जुन खड़गे
इस पर नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सांसद नियम 267 के नोटिस इसलिए देते हैं क्योंकि उन्हें अल्पकालिक चर्चा या अल्प सूचना प्रश्न उठाने का अवसर नहीं मिलता। उन्होंने कहा, ‘‘हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर तत्काल चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन सरकार इससे बचती है।’’
उन्होंने सभापति से ‘‘बुलडोज़र’’ जैसी सख्त व्यवस्था नहीं देने का आग्रह किया और कहा कि सभापति सर्वोच्च अधिकार रखते हैं और किसी नियम को नज़रअंदाज़ कर चर्चा की अनुमति दे सकते हैं।
सरकार चर्चा से नहीं भागती : जे पी नड्डा
नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि सरकार किसी भी चर्चा से नहीं भागती। उन्होंने बताया कि पिछले सत्र में भी सरकार ने विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दे पर चर्चा के लिए सहमति दी थी और इस बार अगले सप्ताह चुनाव सुधारों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि सरकार चर्चा से बचती है। हम हर विषय पर चर्चा को तैयार हैं।’’