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महानदी विवाद पर ओडिशा की समिति सौहार्दपूर्ण समाधान पर राजी

ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के पानी के बंटवारे का विवाद 2018 में एमडब्ल्यूडीटी के गठन के साथ न्यायाधिकरण में पहुंचा।

भुवनेश्वर: ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल विवाद के हल के लिए बनी सर्वदलीय उच्च-स्तरीय समिति एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर सहमत हो गई लेकिन साथ ही उसने कानूनी लड़ाई को कमजोर न करने का भी फैसला किया है। ओडिशा के उपमुख्यमंत्री के. वी. सिंह देव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई पहली बैठक में सभी आठ सदस्य शामिल हुए, जिनमें तीन मंत्री सुरेश पुजारी (राजस्व), पृथ्वीराज हरिचंदन (कानून) और संपद चंद्र स्वैन (उद्योग) और विधायक सरोज कुमार प्रधान (भाजपा), निरंजन पुजारी (बीजद) और सोफिया फिरदौस (कांग्रेस) शामिल थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक जयनारायण मिश्रा ने डिजिटल माध्यम से इस बैठक में हिस्सा लिया।

पत्रकारों को दी जानकारी

सिंह देव ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘समिति के सभी आठ सदस्य विवाद बातचीत के माध्यम से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। यह दोनों राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है। ओडिशा सरकार इस मामले को सुलझाते समय राज्य के सभी हितों की रक्षा करेगी।’’ उन्होंने कहा कि सदस्यों को इस मुद्दे पर ओडिशा सरकार के रुख, छत्तीसगढ़ के साथ अब तक हुई बातचीत और महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण (एमडब्ल्यूडीटी) में लंबित मुकदमे के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि अगली बैठक से पहले सदस्यों को दस्तावेज दिए जाएंगे।

विवाद 2018 में न्यायाधिकरण पहुंचा

ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के पानी के बंटवारे का विवाद 2018 में एमडब्ल्यूडीटी के गठन के साथ न्यायाधिकरण में पहुंचा। यह न्यायाधिकरण तब बनाया गया जब ओडिशा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ द्वारा नदी के ऊपरी हिस्से में बैराज बनाए जाने के कारण महानदी में पानी का बहाव बाधित हो रहा है।

सौहार्दपूर्ण समाधान की आवश्यकता

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ओडिशा की स्थिति को और मज़बूत करने तथा महानदी जल विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सर्वदलीय समिति की अगली बैठक जनवरी 2026 में बुलाई जाएगी। महानदी नदी ओडिशा के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि लाखों लोग सिंचाई, पीने के पानी और उद्योग के लिए इस पर निर्भर हैं।

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