तिरुपति: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि विज्ञान और धर्म के बीच कोई संघर्ष नहीं है और अंत में दोनों अलग-अलग रास्तों से एक ही सत्य की खोज करते हैं। यहां आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि धर्म को अक्सर मजहब के रूप में गलत समझ लिया जाता है जबकि वास्तव में यह ‘‘सृष्टि के संचालन का विज्ञान’’ है।
धर्म कोई मजहब नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘धर्म कोई मजहब नहीं है। यह वह नियम है जिसके अनुसार सृष्टि चलती है। कोई इसे माने या न माने, लेकिन इसके बाहर कोई भी कार्य नहीं कर सकता।’’ उन्होंने यह भी कहा कि धर्म में असंतुलन विनाश का कारण बनता है। भागवत ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से विज्ञान ने यह मानते हुए धर्म से दूरी बनाए रखी कि वैज्ञानिक अनुसंधान में उसका कोई स्थान नहीं है, लेकिन यह दृष्टिकोण मूल रूप से गलत है।
कार्यप्रणाली का अंतर
उनके अनुसार, विज्ञान और अध्यात्म के बीच वास्तविक अंतर केवल कार्यप्रणाली का है लेकिन दोनों का लक्ष्य एक ही है। उन्होंने कहा, ‘‘विज्ञान और धर्म या अध्यात्म के बीच कोई टकराव नहीं है। उनकी पद्धतियां भले ही अलग हों लेकिन मंजिल एक ही है-सत्य की खोज।’’