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मदनी के बयान पर विवाद बढ़ा , भाजपा बोली- आतंकी बचाओ जमात सक्रिय हुई

दस नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके के बाद अल फलाह विश्वविद्यालय कई सुरक्षा एजेंसियों के जांच के दायरे में आ गया है क्योंकि "आत्मघाती बम हमलावर" डॉ. उमर उन नबी वहां मेडिसिन का प्रोफेसर था।

नई दिल्ली : दिल्ली विस्फोट मामले से जुड़े अल फलाह विश्वविद्यालय का जिक्र करके मुसलमानों के साथ भेदभाव का आरोप लगाने से संबंधित जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) के प्रमुख अरशद मदनी के बयान पर विवाद पैदा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि आतंकी बचाओ जमात सक्रिय हो गई है। मदनी ने दावा किया कि जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क का मेयर जबकि एक खान लंदन का मेयर चुना जा सकता है, लेकिन भारत में कोई मुसलमान विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकता।

उन्होंने शनिवार को यहां जमीयत मुख्यालय में एक पत्र में कहा, 'दुनिया सोचती है कि मुसलमान अपाहिज और खत्म हो गए हैं। मैं ऐसा नहीं मानता। आज, एक मुसलमान ममदानी, न्यूयॉर्क का मेयर बन सकता है, एक खान लंदन का मेयर बन सकता है, जबकि भारत में, कोई भी विश्वविद्यालय का कुलपति भी नहीं बन सकता। मदनी ने कहा, और अगर कोई ऐसा करता भी है, तो उसे जेल भेज दिया जाएगा, जैसे आजम खान। देखिए आज अल फलाह के साथ क्या हो रहा है। वह (संस्थापक) जेल में है, और कोई नहीं जानता कि वह कितने साल जेल में रहेंगे।'

जमीयत के दो गुटों में से एक के प्रमुख मदनी ने आरोप लगाया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि मुसलमान कभी सिर न उठाएं। भाजपा नेताओं ने इस बात के लिए मदनी की आलोचना की और उन पर दिल्ली विस्फोट की जांच को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया। सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, 'वोट बैंक के नाम पर, ‘तुष्टिकरण के भाईजान’ और ‘आतंकी बचाओ जमात’ सक्रिय हो गई है।'

उन्होंने पीटीआई वीडियो से कहा, 'अरशद मदनी जी, मेयर की बात छोड़िए; इस देश ने मुसलमानों को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान न्यायाधीश, गृह मंत्री बनते देखा है। सबसे बड़े कलाकार और उद्योगपति भी मुस्लिम रहे हैं।' पूनावाला ने कहा, “जब कोई आतंकी घटना होती है, तो जो लोग कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, वे धर्म के आधार पर आतंकवादियों का साथ देने लगते हैं।’

पूनावाला ने यह भी कहा, 'इसलिए, मैं कहता हूं कि आतंकवाद के चिकित्सक के पीछे आतंकवाद के चालबाज चिकित्सक हैं। और ये चालबाज चिकित्सक सिर्फ अरशद मदनी ही नहीं हैं, बल्कि पी. चिदंबरम जी जैसे दूसरे लोग भी हैं, जिन्होंने कहा था कि हालात ही आतंकवादी बनाते हैं।'

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