नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत के जीवंत जहाज निर्माण उद्योग में अवसरों का लाभ उठाने और अगली पीढ़ी की समुद्री क्षमताओं का सह-विकास करने का मंगलवार को आह्वान किया।
एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता है क्योंकि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग पहले ही विमानवाहक पोत, अनुसंधान पोत और वाणिज्यिक जहाज बना चुका है। उन्होंने कहा, ‘भारत को जो चीज वास्तव में अलग बनाती है, वह है इसका एकीकृत जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र।’
उन्होंने कहा कि भारत को वास्तव में अलग बनाने वाला इसका एकीकृत जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र है। राजनाथ ने कहा कि अवधारणा डिजाइन और मॉड्यूलर निर्माण से लेकर रख रखाव, मरम्मत तक, जहाज निर्माण प्रक्रिया का हर चरण स्वदेशी रूप से विकसित और क्रियान्वित किया जाता है। राजनाथ रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी ‘समुद्र उत्कर्ष’ में मुख्य भाषण दे रहे थे, जिसमें भारतीय जहाज निर्माण उद्योग की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया।
उन्होंने उद्योग के हितधारकों, विदेशी साझेदारों, प्रतिनिधियों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हजारों सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों द्वारा समर्थित हमारे सार्वजनिक और निजी शिपयार्ड ने एक मजबूत मूल्य शृंखला बनाई है, जो इस्पात, प्रणोदन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और उन्नत लड़ाकू प्रणालियों तक फैली हुई है।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग, जिसमें ‘उत्साही’ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और ‘गतिशील’ निजी क्षेत्र के साझेदार शामिल हैं, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है।