नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के एक परिवार की बच्ची की कस्टडी को लेकर चल रही बहस के बीच 12 साल की उस बच्ची ने अपने पिता के साथ रहने के लिए 1 करोड़ रुपये की मांग रखी। जिसे सुनकर मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ भी भौचक रह गई और बेंच ने इसके लिए उस बच्ची की मां को फटकार लगाई और कहा कि ऐसा लगता है कि मां बच्ची के मन को भड़का रही है और उसकी सोच को गलत दिशा में मोड़ रही है। कोर्ट ने उस महिला को चेतावनी दी कि आप इस बच्ची के करियर और मानसिकता को बर्बाद कर रही हैं। यह सब किसी दिन आपको ही नुकसान देगा।
दरअसल, बच्ची के पिता ने अदालत में यह शिकायत की थी कि निचली अदालत ने उन्हें कस्टडी दी थी, लेकिन बच्ची की मां ने उसे अब तक सुपुर्द नहीं किया। पिता ने यह भी बताया कि उन्होंने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया, जिसके बाद अब वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बताया जाता है कि पति-पत्नी के विवाद के बीच बच्ची ने पिता पर डंडे से हमला किया था। उसने पिता के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया था। उसके स्कूल दस्तावेज़ों से भी पिता का नाम हटाया गया है। सुनवाई के दौरान महिला की वकील अनुराभा अग्रवाल ने कहा कि वे मेडिएशन के लिए तैयार हैं। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति से मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतु बाहरी को इस मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया गया है।