अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 
भारत

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा अंतरिक्ष बहुत मज़ेदार जगह

शुभांशु ने छात्रों के साथ अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा करते हुए कई मजेदार किस्से सुनाए।

भुवनेश्वर : अंतरिक्ष यात्री और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को कहा कि अंतरिक्ष में रहना बहुत मज़ेदार है, लेकिन गुरुत्वाकर्षण की कमी (भारहीनता) के कारण भ्रम की स्थिति रहती है। स्कूली छात्रों से बातचीत करते हुए शुक्ला ने कहा, ‘अंतरिक्ष मज़ेदार जगह है, क्योंकि वहां आपके शरीर समेत सब कुछ तैर रहा होता है। हमारे लिए, वहां ताकत लगाये बिना बड़े आकार के सामान को इधर-उधर ले जाना भी बहुत आसान था।’

शुभांशु शुक्ला ने साझा किए अनुभव

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के अंदर उस मज़ेदार पल का एक वीडियो क्लिप साझा करते हुए बताया कि मजे मजे में, अंतरिक्ष यात्री उनमें से किसी एक साथी को गेंद की तरह इस्तेमाल करते थे और एक हाथ से दूसरे हाथ की ओर धकेल कर खेलते थे। शुक्ला ने कहा कि हालांकि, शरीर के लिए अंतरिक्ष की परिस्थितियों में तालमेल बिठाना बहुत मुश्किल था।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री शुक्ला ने कहा, ‘ऊपर-नीचे समझ पाना बहुत मुश्किल था... मेरा दिमाग पूरी तरह से भ्रमित था। तीन-चार दिनों तक मुझे भूख ही नहीं लगी क्योंकि हमारे पेट में भी सब कुछ तैर रहा होता है।’

अंतरिक्ष में होते हैं शारीरिक परिवर्तन

उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में, कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं तथा चूंकि मांसपेशियों में कोई खिंचाव नहीं होता, इसलिए मांसपेशियां बहुत तेजी से क्षीण होती हैं। ग्रुप कैप्टन ने बताया कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान उनकी 4.5 किलोग्राम से अधिक मांसपेशियां कम हो गई थीं। उन्होंने कहा कि शरीर धीरे-धीरे नये वातावरण का आदी हो जाता है। लेकिन जब कोई अंतरिक्ष से धरती पर लौटता है, तो पूर्ववत होना बहुत मुश्किल होता है।

दिमाग एक शक्तिशाली उपकरण

उन्होंने कहा, ‘आपका दिमाग एक शक्तिशाली उपकरण है जो आपको उन बातों पर भी विश्वास दिला देता है जो जरूरी नहीं कि सच हों।’ यह कहते हुए कि भारत सही राह पर आगे बढ़ रहा है, जहां भविष्य में उसे काफी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की आवश्यकता होगी, शुक्ला ने कहा, ‘हमें इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए जिज्ञासा और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने की आवश्यकता है।’

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अनेको संभावनाएं

शुक्ला ने छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा, ‘जब हम अंतरिक्ष अन्वेषण की बात करते हैं, तो हमारे पास उन समस्याओं को सुलझाने का कौशल होता है जिनके बारे में हमें पता भी नहीं होता। इसके लिए सबसे आवश्यक कौशल, समस्या-समाधान कौशल है।’ उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने सपनों को केवल अंतरिक्ष यात्री बनने तक ही सीमित न रखें, क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में पोशाक डिजाइन से लेकर पोषण तक, बहुत संभावनाएं हैं।'

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