इस्लामाबाद/कराची : पाकिस्तान में बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई तेज हो गई है। बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने पिछले 24 घंटे में क्वेटा, लोरालाई और मस्तुंग समेत 17 स्थानों पर हमले किए हैं। 4 दिन में 70 हमले कर चुके हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी फौज और पुलिस को निशाना बनाया गया। विद्रोही बलूचों ने शुक्रवार को प्रांत के झोब इलाके में पंजाब सूबे से आ रही बस को अगवा कर लिया और पहलगाम हमले की तरह यात्रियों से उनकी पहचान पूछ-पूछ कर बाहरी लोगों को मार डाला। पहलगाम हमले में मुस्लिम आतंकियों ने 26 हिन्दू पर्यटकों की हत्या कर दी थी। बीएलएफ ने इन हमलों को ‘ऑपरेशन बॉम्ब’ नाम दिया है। उसने कहा है कि जब तक बलूचिस्तान को आजादी नहीं मिलती, तब तक वे अपनी कार्रवाई जारी रखेंगे। प्रांत के झोब इलाके के सहायक आयुक्त नवीद आलम ने कहा कि घटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुरुवार रात को हुई। हथियारबंद हमलावरों ने पंजाब जाने वाली दो बसों को रोका। हमलावरों ने पहले यात्रियों के पहचान पत्र देखे और 9 लोगों को बस से उतरने को कहा तथा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। प्रतिबंधित संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने इसकी जिम्मेदारी ली है। सुरक्षा बलों ने राजमार्ग पर यातायात निलंबित कर दिया है।
सीपीईसी को बनाते हैं निशाना : बलोच लड़ाके अक्सर इस तेल और खनिज समृद्ध प्रांत में सुरक्षा कर्मियों, सरकारी परियोजनाओं और 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर हमले करते रहते हैं। मार्च में ग्वादर बंदरगाह के पास कलमात इलाके में लंबे ट्रेलरों पर काम कर रहे 5 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि फरवरी में ने पंजाब प्रांत के 7 यात्रियों को बस से उतारकर मार डाला था।
क्वेटा, लोरालाई और मस्तुंग में भी बलूचिस्तान लिब्रेशन फ्रंट के हमले
इस बीच बीएलएफ ने क्वेटा, लोरालाई और मस्तुंग सहित पूरे प्रदेश में 17 स्थानों पर हमले किए हैं। बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने दावा किया कि सुरक्षा बलों ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। इधर, स्थानीय मीडिया में दावा किया गया है कि बीएलएफ ने सुरक्षा चौकियों, सरकारी प्रतिष्ठानों, थानों, बैंकों और संचार टावरों को निशाना बनाया। पाकिस्तान फौज इन्हें आतंकी बताकर बलोच युवकों को पकड़-पकड़ कर मार डालती है, विद्रोह इसी कारण भड़क रहा है।
1964 से जंग लड़ रहे बलूच
विद्रोही बलोच लड़ाके बलूचिस्तान की आजादी चाहते हैं। यह समूह 1964 से पाकिस्तान पर क्षेत्र के संसाधनों पर कब्जा जमाकर यहां के लोगों के बुनियादी अधिकारों के हनन का आरोप लगाता आ रहा है। दरअसल ब्रिटिश भारत से स्वतंत्रता के वत बलूचिस्तान को आजाद राज्य घोषित किया गया था, हालांकि 1948 के बाद इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया था। कई दशकों से यहां के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं।