विदेश

शेख हसीना को मौत की सजा

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सुनाई सजा

नई दिल्ली: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। यह सजा जुलाई 2024 में उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए ‘मानवता के विरुद्ध अपराधों’ के लिए सुनाई गई। ICT ने उन्हें 5 मामलों में आरोपी बनाया था। हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के लिए मौत की सजा सुनाई, बाकी मामलों में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा हसीना की अनुपस्थिति में सुनाई गई।

महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में ICT ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का ‘मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार’ बताया, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। सजा का ऐलान होते ही कोर्ट रूम में मौजूद लोगों ने तालियां बजाईं। यह फैसला बांग्लादेश में संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले आया है। हसीना की अवामी लीग पार्टी को फरवरी में होने वाले चुनावों में भाग लेने से रोक दिया गया है।

जज बोला - हसीना का ही हाथ था

ढाका में कड़ी सुरक्षा वाले कोर्ट में जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना संदेह यह साबित कर दिया है कि पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच विरोध प्रदर्शनों पर घातक कार्रवाई के पीछे हसीना का ही हाथ था। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों के इस्तेमाल का भी आदेश दिया। हसीना को निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग का आदेश देने, भड़काऊ बयान देने और ढाका तथा आसपास के इलाकों में कई छात्रों की हत्या के लिए अभियान चलाने की अनुमति देने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 1,400 लोग मारे गए थे।

पूर्व गृहमंत्री को भी मौत की सजा, IGP को 5 साल जेल

वहीं दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। तीसरे आरोपी पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई। ममून हिरासत में हैं और सरकारी गवाह बन चुके हैं। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान कमाल की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दिया है। फैसले के बाद बांग्लादेश के अंतरिम पीएम मोहम्मद यूनुस ने भारत से हसीना को डिपार्ट करने की मांग की है।

तख्तापलट के बाद भारत आ गईं थीं हसीना

5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान ने देश छोड़ दिया था। दोनों नेता पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है, उसके मुताबिक यह भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वह पूर्व बांग्लादेशी पीएम को हमारे हवाले करे।

हसीना ने जो कोर्ट बनाई, उसी ने सजा सुनाई

हसीना को मौत की सजा सुनाने वाले ICT की स्थापना उन्होंने ही की थी। इसे 2010 में बनाया गया था। इस कोर्ट को 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराध और नरसंहार जैसे मामलों की जांच और सजा के लिए बनाया गया था। हालांकि इस ट्रिब्यूनल को बनाने के लिए 1973 में ही कानून बना दिया गया था, लेकिन दशकों तक प्रक्रिया रुकी रही। इसके बाद 2010 में हसीना ने इसकी स्थापना की ताकि अपराधियों पर मुकदमा चल सके।

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