पश्चिम बंगाल

‘प्रेत की चपेट में है बच्चा’ सोचकर अभिभावकों ने गंवाये 4 साल

बार-बार हो जाता था बेहोश, हार्ट ब्लॉकेज का चला पता

कोलकाता : बीरभूम के रामपुरहाट में एक 11 साल के बच्चे को, जिसे 7 साल की उम्र से बार-बार बेहोशी आने के कारण आध्यात्मिक प्रेतबाधा (स्पिरिचुअल पोजेशन) का शिकार माना जा रहा था, उसके हृदय में पूर्ण कार्डियाक ब्लॉकेज का पता चला और मणिपाल अस्पताल, ढाकुरिया में स्थायी पेसमेकर (पीपीएम) प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. सौम्य कांति दत्ता, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में बच्चे का सफलतापूर्वक उपचार किया गया।

7 साल की उम्र से गिरने लगा था ब्लड प्रेशर

7 साल की उम्र से ही ब्लड प्रेशर में लगातार गिरावट और बेहोशी की स्थिति शुरू हो गई, जिस कारण वह स्कूल से अनुपस्थित रहने लगा और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने में भी असमर्थ हो गया। उसके परिवार को शुरू में डर था कि वह किसी प्रकार की आध्यात्मिक प्रेतबाधा का शिकार हो सकता है। जवाब की तलाश में, उन्होंने बच्चे की पीड़ा को कम करने की आशा में पारंपरिक डॉक्टराें और अनुष्ठानों की मदद ली। हालांकि, प्रयासों के बावजूद, इन उपायों से कोई समाधान नहीं निकला और उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई। बच्चे को कई अस्पतालों में ले जाया गया, हालांकि उसकी स्थिति के सही कारण का पता नहीं चल सका। अंततः वह मणिपाल अस्पताल ढाकुरिया आया, जहां उसकी हृदय संबंधी स्थिति का पता लगाया गया। प्रारंभिक ईसीजी सामान्य दिखाई दी, लेकिन पल्स ऑक्सीजन सैचुरेशन रीडिंग में 40%-30% के बीच के उतार-चढ़ाव ने संदेह पैदा किया। बार-बार ईसीजी की निगरानी के बाद, फुल कार्डियाक ब्लॉकेज (सीबीएच) के निदान की पुष्टि हुई। उम्र को ध्यान में रखते हुए, मणिपाल अस्पताल में अंततः पीपीएम प्रत्यारोपित किया गया।

आनुवंशिक या जन्मजात दोष हो सकते हैं कारण

मणिपाल अस्पताल ढाकुरिया की कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. सौम्या कांति दत्ता ने कहा, ‘बाल आयु वर्ग में हार्ट ब्लॉकेज इतना आम नहीं है। हालांकि कुछ आनुवंशिक या जन्मजात दोष फुल हार्ट ब्लॉकेज का कारण बन सकते हैं। इस उम्र में बच्चों की नसें अपेक्षाकृत छोटी होती हैं और हृदय पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे यह प्रक्रिया थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो गई। इसलिए, पेसमेकर समायोजन बहुत ही सटीक और सावधानीपूर्वक किया गया।’ प्रत्यारोपण के बाद, बच्चा स्वस्थ है और उसका ब्लड सर्कुलेशन स्थिर है। वह वसा रहित सामान्य आहार ले रहा है और प्रक्रिया के दो दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई। अब वह अपनी स्कूली शिक्षा फिर से शुरू कर सकेगा और अब से सामान्य जीवन जी सकेगा।

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